
ट्रिब्यूनल ने मां व बच्चों को ही हकदार माना, दूसरी पत्नी को उम्र और आमदनी तक नहीं पता
इंदौर। एक ढाबे में घुसे कंटेनर (Container) की टक्कर से हम्माल की मौत (Death) हो गई थी। हम्माल की मां व पुत्रों ने मुआवजा (compensation) मांगा, जबकि एक महिला ने भी खुद को हम्माल की दूसरी पत्नी बताते हुए 65 लाख के मुआवजे (65 lakh compensation) का दावा ठोक दिया, लेकिन उसे पति की उम्र से लेकर आमदनी तक का पता नहीं था।
शिप्रा में जानकीलाल का ढाबा में 23 सितंबर 2015 को आयशर कंपनी के कंटेनर को चालक अरुणकुमार पटेल तेज गति से चलाकर लाया और ढाबे में घुसा दिया। इससे ढाबे में रखा एक लाख का सामान चकनाचूर हो गया। चाय पीने आया हम्माल करणसिंह भी कंटेनर की चपेट में आकर बुरी तरह घायल हो गया। इलाज के दौरान मौत हो गर्ई थी। करणसिंह की मां कमलाबाई व उसके दो पुत्रों देवेंद्र एवं सुरेश निवासी ढाबली ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में दावा लगाकर 30 लाख का मुआवजा दिलाने की मांग की थी। इस बीच मांगलिया की रहने वाली राधाबाई ने खुद को करणसिंह की दूसरी पत्नी बताते हुए अपने साथ तीन बच्चों के नाम से अलग से केस लगाकर 65 लाख का मुआवजा दिलाने की मांग की थी।
ट्रिब्यूनल ने विवाहित पत्नी मानने से किया इनकार
क्लेम केस में सुनवाई के दौरान कमलाबाई ने उसे अपनी बहू मानने से इनकार कर दिया, जबकि राधाबाई ने कमलाबाई को सास होने से नकारा तो नहीं। उसके पास या उसके बच्चों के पहचान पत्रों में कहीं पति या पिता के तौर पर करणसिंह के नाम का उल्लेख नहीं था। असल में राधाबाई ने पहले मोहन से शादी की थी, लेकिन उससे भी कानूनी तौर पर तलाक लेना साबित नहीं हो सका। ऐसे में ट्रिब्यूनल के सदस्य देवेश उपाध्याय ने राधाबाई को मृतक की कानूनी उत्तराधिकारी मानने से इनकार करते हुए उसका क्लेम आवेदन खारिज कर दिया। करणसिंह की मां कमलाबाई व दोनों पुत्रों को मुआवजे का हकदार मानते हुए यूनाइटेड इंडिया जनरल इंश्योरेंस कंपनी व कंटेनर की मालिक नम्रता राठी निवासी विजयनगर को आदेश दिया कि संयुक्त या अलग-अलग रूप से इन तीनों को कुल 8 लाख 40 हजार 948 रुपए मुआवजे के तौर पर चुकाएं।
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