
इंदौर। कैबिनेट मंजूरी और सिंहस्थ के मद्देनजर इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर के लिए भू-अर्जन की प्रक्रिया प्रशासन ने शुरू कर दी है। पिछले दिनों हातोद और सांवेर तहसील के एसडीएम ने 296 आपत्तियों की सुनवाई की थी। उसके बाद अब भू-अर्जन के लिए सूचनाओं का प्रकाशन भी करवा दिया है। इसमें 48 किलोमीटर लम्बा यह कॉरिडोर एयरपोर्ट के आगे गोम्मटगिरि के आगे पितृ पर्वत के पास से शुरू होकर इंदौर के चिंतामण गणेश तक शुरू होगा, जिसमें उज्जैन जिले के भी गांवों की जमीनों का अधिग्रहण किया जाएगा। लगभग 3 हजार करोड़ रुपए की लागत इस कॉरिडोर निर्माण पर आएगी और पिछले दिनों ही एमपीआरडीसी ने फोरलेन रेलवे ओवरब्रिज के लिए भी टेंडर आमंत्रित कर लिए हैं।
इस कॉरिडोर के लिए भी किसानों का विरोध लगातार जारी है और इंदौर कलेक्ट्रेट का भी घेराव किया गया और अभी सिंहस्थ के मद्देनजर जो भू-अर्जन किया जाना था, उसे भी फिलहाल निरस्त कर दिया है, जिसके चलते ग्रीन फील्ड कॉरिडोर सहित अन्य योजनाओं के लिए ली जाने वाली जमीनों का विरोध भी अब और बढ़ेगा। कुछ समय पूर्व कैबिनेट ने लगभग 3 हजार करोड़ की राशि इस कॉरिडोर के लिए मंजूर की और एमपीआरडीसी को निर्माण का जिम्मा सौंपा और उसने भू-अर्जन की प्रक्रिया दोनों जिलों के कलेक्टरों के माध्यम से शुरू करवाई।
कॉरिडोर पर जो फोरलेन फ्लायओवर निर्मित होना है उसकी लागत भी लगभग 160 करोड़ रुपए आएगी। इसमें 34 अंडरपास और 2 अन्य फ्लायओवर सहित आधा दर्जन से अधिक छोटे पुल और दो जंक्शनों का निर्माण भी किया जाएगा। हाईब्रीड एनयूटी मॉडल पर निर्मित होने वाले इस कॉरिडोर का रख-रखाव 17 सालों तक ठेकेदार फर्म को करना पड़ेगा। कलेक्टर शिवम वर्मा ने इस कॉरिडोर के लिए भी भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू करवाई। एसडीएम घनश्याम धनगर के मुताबिक, पिछले दिनों जमीन मालिकों की दावे-आपत्तियों की सुनवाई कर निराकरण भी कर दिया और अब भू-अर्जन, पूनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिनियम 2013 के तहत जमीन मालिकों की सूची का सार्वजनिक प्रकाशन, उनके खसरा नम्बरों और रकबे सहित कराया गया है।
इसमें टुमनी, रनतखेड़ी, चित्तौड़ा, मगरखेड़ी, पोटलोद, कछालिया, रंग कराडिय़ा, रालामंडल, बलधारा, बालरिया, बीबीखेड़ी, हरियाखेड़ी गांवों की जमीनों का अधिग्रहण किया जाना है। इस 48 किलोमीटर लम्बे कॉरिडोर में ली जा रही जमीनों का भी लगातार विरोध किया जा रहा है और पिछले दिनों ही हातोद से कलेक्टर कार्यालय तक ट्रैक्टर रैली भी निकाली गई और अब चूंकि उज्जैन सिंहस्थ के मद्देनजर भू-अर्जन की प्रक्रिया लैंड पूलिंग एक्ट के तहत रोक दी गई है, जिसके चलते अब इस ग्रीन फील्ड कॉरिडोर पर किसानों का यही दबाव रहेगा कि शासन इन प्रोजेक्टों को भी वापस ले। हालांकि शासन ने गाइडलाइन से दो गुना मुआवजा देने सहित कई अन्य लाभ भी बताए हैं। ग्रीन फील्ड कॉरिडोर में इंदौर के सांवेर और हातोद तहसील के करीब 20 गांव और उज्जैन जिले के 8 गांवों की जमीनें ली जाना है। लगभग 188 हेक्टेयर जमीनों को लेकर ये कॉरिडोर बनेगा। दरअसल, प्रदेश सरकार की मंशा है कि इंदौर एयरपोर्ट से लेकर उज्जैन तक का आवागमन इस कॉरिडोर के जरिए सुगम हो, क्योंकि सिंहस्थ में 25 से 30 करोड़ श्रद्धालुओं के उज्जैन पहुंचने की संभावना है, जिसके चलते वर्तमान इंदौर-उज्जैन फोरलेन को भी सिक्स लेन में परिवर्तित किया जा रहा है और उसके साथ ही क्षिप्रा देवास से उज्जैन होकर भी फोरलेन बना हुआ है और एक और यह नया कॉरिडोर भी मिल जाएगा।
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