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रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद क्या अब Debt Funds में निवेश करना सही होगा? समझें

June 09, 2022


नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने एक दिन पहले बुधवार को लगातार दूसरे महीने रेपो रेट में बढ़ोतरी की है. रेपो रेट में 0.5 फीसदी बढ़ोतरी के बाद अब यह 4.9 फीसदी पर पहुंच गया है. अन्य देशों की तरह भारत में भी महंगाई आसमान को छू रही है. केंद्रीय बैंक ने महंगाई पर अंकुश लगाने के मकसद से फाइनेंशियल सिस्टम से लिक्विडिटी यानी रकम वापस लेने के मद्देनजर यह कदम उठाया है.

रिजर्व बैंक के इस कदम से बॉन्ड यील्ड बढ़ना तय है, जिसका कुछ असर बॉन्ड में निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड स्कीमों पर भी दिखेगा. अब सवाल उठता है कि क्या अभी आपको डेट फंड्स (Debt Funds) में निवेश करना चाहिए? आइए, इस सवाल का जवाब ढूंढते हैं.

दरअसल, दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों और बाजार सहभागियों के लिए अर्थव्यवस्था में बढ़ती महंगाई चिंता का कारण बनी हुई है. इसी वजह से हाल के महीनों में दुनियाभर में केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक भी उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है. देश में मध्यम अवधि में महंगाई दर रिजर्व बैंक की निर्धारित सीमा 6 फीसदी की ऊपरी सीमा से अधिक रहने की उम्मीद है.

महंगाई से अभी राहत नहीं
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल मानसून सामान्य रहने और कच्चे तेल की औसत कीमत (भारतीय बॉस्केट) 105 डॉलर प्रति बैरल के अनुमान के साथ देश में वित्त वर्ष 2022-23 में महंगाई 6.7 फीसदी रहने का अनुमान है. भारतीय रिजर्व बैंक ने की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के बयान के मुताबिक, महंगाई दर पहली तिमाही में 7.5 फीसदी, दूसरी तिमाही में 7.4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.2 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी रह सकती है. इससे पहले अप्रैल में वित्त वर्ष 2022-23 में महंगाई दर 5.7 फीसदी रहने का अनुमान था. इसका मतलब यह हुआ कि फिलहाल महंगाई से राहत की उम्मीद नहीं है.


रेपो रेट 6.25 फीसदी तक ले जाना जरूरी
एसबीआई म्यूचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के सीईओ राजीव राधाकृष्णन ने कहा, “अगली पॉलिसी में रेपो रेट में 0.5 फीसदी की और बढ़ोतरी से इंकार नहीं किया जा सकता है. हमें उम्मीद है कि नीतिगत दर एडजस्टमेंट प्रोसेस इस वित्तीय वर्ष में पूरा हो जाएगा.” सरल शब्दों में कहें तो यहां से दरें ऊपर जाने वाली हैं. ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के सीईओ संदीप बागला को महंगाई की उम्मीदों में कमी आने की उम्मीद नहीं है. वह कहते हैं कि महंगाई को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए रेपो दर को 6 से 6.25 फीसदी तक ले जाने की आवश्यकता है.

बॉन्ड यील्ड आकर्षक
विशेषज्ञों को बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी का ट्रेंड जारी रहने का अनुमान है. इसकी वजह यह है कि महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक रेपो रेट की बढ़ोतरी जारी रख सकता है. इसका सीधा असर बॉन्ड की कीमतों पर पड़ेगा. वैसे भी, पिछले कुछ वर्षों में कम ब्याज को देखते हुए निवेशकों को मौजूदा यील्ड आकर्षक लग सकता है. हालांकि, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आगे यील्ड सख्त हो सकता है. सिनर्जी कैपिटल सर्विसेज के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम दलाल ने कहा, “मार्च 2023 तक 10 साल की बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड 8-8.25 फीसदी और रेपो रेट 5.75-6 फीसदी हो सकती है.”

शॉर्ट-टर्म डेट फंड बेहतर विकल्प
भविष्य में ब्याज दरें बढ़ने की उम्मीद के बावजूद अपनी मेहनत की कमाई को फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट में निवेश करना कठिन फैसला है. 10 साल की बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड आज नरम बनी हुई है. इसके बावजूद निकट भविष्य में उच्च बॉन्ड यील्ड की उम्मीद में लंबी अवधि के बॉन्ड में निवेश से बचना चाहिए. लंबी अवधि के फंड और गिल्ट फंड, जो लंबी अवधि की सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं, उनसे आपको दूरी बनानी चाहिए. ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के सीईओ संदीप बागला कहते हैं कि 2-3 साल में मैच्योर होने वाले बॉन्ड में निवेश करने वाले शॉर्ट-टर्म डेट फंड इस समय निवेश का अच्छे विकल्प हैं.

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