
नई दिल्ली । उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार सुबह ग्लेशियर टूटने से हुई तबाही के बीच वायुसेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन तेज कर दिया है। हेलीकॉप्टरों को प्रभावित इलाकों में रेकी के लिए लगाया गया है जो जरूरत के मुताबिक मुसीबत में फंसे लोगों को एयरलिफ्ट कर रहे हैं।
भारतीय वायुसेना ने उत्तराखंड आपदा में किए जा रहे राहत कार्यों की जानकारी देने के लिए देर रात प्रेस कांफ्रेंस की। इसमें प्रवक्ता इंद्रनील नंदी ने वायुसेना के ऑपरेशन की सिलसिलेवार जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वायुसेना को इस घटना की जानकारी दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर मिली। इसके बाद साढ़े 12 बजे वायुसेना ने अपने सी-70, 2 सी-130 और 4 एएन-30 परिवहन विमान स्टैंडबाय पर रखने के निर्देश दिए। इसके अलावा 4 एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर, 4 एमआई-17 हेलीकॉप्टर, एक चिनूक हेलीकॉप्टर को भी स्टैंडबाय पर रखा गया। दोपहर 1.40 बजे वायुसेना को दिल्ली से उत्तराखंड के प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों के लिए रेस्क्यू टीमों को ले जाने के लिए टास्क दिया गया।
उन्होंने बताया कि शाम को ही लगभग 20 टन उपकरणों के साथ एनडीआरएफ की रेस्क्यू टीमों को उत्तराखंड पहुंचा दिया गया है। इसके अलावा वायुसेना के परिवहन विमान एएन-32 से नौसेना के मरीन कमांडो लगभग 1.5 टन राहत सामग्री के साथ उत्तराखंड के जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचाया गया। इन्हें शाम को ही बसों से आगे के प्रभावित क्षेत्रों के लिए रवाना कर दिया गया है। वायुसेना के चार एडवांस लाइट हेलीकॉप्टरों को इलाके की रेकी करने के लिए लगाया गया। हेलीकॉप्टर ने रेकी की और पाया कि तपोवन डैम पूरी तरह से बह गया है। इस बांध को तपोवन हाइड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर डैम भी कहा जाता है। यह धौली गंगा और ऋषि गंगा के संगम पर है। तपोवन बांध यानी ऋषि गंगा परियोजना पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है।
उन्होंने बताया कि मलारी घाटी के प्रवेश द्वार पर और तपोवन के पास पांच पुल बह गए हैं। जोशीमठ से तपोवन के बीच मुख्य सड़क बरकरार है। घाटी तल पर निर्माण कार्य और झोपड़ियां क्षतिग्रस्त हुई हैं। नंदादेवी ग्लेशियर के प्रवेश द्वार से लेकर पिपलकोटी और चमोली के साथ-साथ धौलीगंगा और अलकनंदा तक मलबा फैल गया है। उन्होंने बताया कि वायुसेना ने अपना रेस्क्यू ऑपरेशन तेज कर दिया है।
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