
इंदौर। प्रशासन द्वारा पिछले दिनों एक महिला नायब तहसीलदार को बलि का बकरा बनाते हुए तबादला कर दिया गया। इसके पीछे 4 महिला शिक्षकों ने खेल खेला है। कोरोना किल अभियान में लापरवाही की हद पार करने पर चारों को जब नोटिस जारी किया गया था, तब उन्होंने एक अन्य महिला शिक्षक का सहारा लेते हुए तहसीलदार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। इसकी सच्चाई कोविड थाना पलासिया के ग्रुप में छिपी हुई है।
पिछले दिनों बिचौली हप्सी की नायब तहसीलदार रेखा सचदेव का ट्रांसफर देपालपुर किया गया। अचानक हुए तबादले से अधिकारी भी अचंभित हैं। कलेक्टर के आदेश पर तहसीलदार ने देपालपुर में ज्वाइन भी कर लिया है। अग्निबाण ने जब इसकी तह तक जाने का प्रयास किया तो खुलासा हुआ कि तबादले के पीछे एक बड़ा खेल खेला गया है। पलासिया थाना क्षेत्र में किल कोरोना अभियान की जिम्मेदारी नायब तहसीलदार रेखा सचदेव की थी। इलाके की कुल 48 कालोनियों में 44 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा, एएनएम एवं शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई थी। कुल 22 टीमें बनाई गई थीं। इन टीमों में 4 शिक्षिका राधा अग्रवाल, शिल्पी जोशी, ज्योति पांडे एवं सविता चौहान भी थीं। चारों ने सिर्फ औपचारिकता निभाने के लिए ही कार्य किया। यहां तक कि 12 जुलाई से 15 जुलाई तक गैरहाजिर भी रहीं। जब अधिकारियों ने फोन लगाया तो बहाने बनाकर कॉल कट कर देती थीं। इनमें से सविता चौहान मनोरमागंज इलाके की जावरा अपार्टमेंट बिल्डिंग का सर्वे करना ही भूल गईं। जब इस बिल्डिंग में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिला तो अधिकारियों की पूछताछ पर बोलीं- हमें बिल्डिंग कहीं दिखी ही नहीं। सुपरवाइजर ने चारों की रिपोर्ट नायब तहसीलदार को दी। तहसीलदार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम अक्षय मरकाम को जानकारी दी, जिस पर चारों को 18 जुलाई को नोटिस दिया गया।
एसडीएम और तहसीलदार के बीच जमकर हुई बहस
सूत्रों के अनुसार एसडीएम अक्षय मरकाम एवं तहसीलदार के बीच फोन पर ही जमकर बहस हुई। एसडीएम ने यहां तक कह दिया कि मैं तहसीलदार से बहुत परेशान हो गया हूं। इसी को लेकर काफी देर तक दोनों के बीच बहस हुई। अब सवाल यह उठता है कि जब एसडीएम वाकई में तहसीलदार से परेशान थे तो चारों शिक्षिकाओं की तरह उन्हें नोटिस क्यों नहीं जारी किया? दूसरे दिन तहसीलदार ने अपर कलेक्टर पवन जैन को भी सारी सच्चाई बताई। इधर, कलेक्टर मनीष सिंह को भी तहसीलदार की ही कमियां निकालते हुए रिपोर्ट दे दी गई, जिसके बाद उन्होंने ताबड़तोड़ उनका तबादला देपालपुर कर दिया।
अस्पताल में एडमिट एक अन्य शिक्षिका का लिया सहारा
19 जुलाई को एक अन्य शिक्षिका कविता गुप्ता ने कोविड थाना पलासिया के ग्रुप पर लिखा कि मेरे द्वारा पिछले 5 दिनों से अकेले ही सर्वे का कार्य किया जा रहा है। अतिशीघ्र अन्य सदस्य की वैकल्पिक व्यवस्था करने का कष्ट करें…तहसीलदार ने पूछा- साथ में कौन है तो जवाब मिला- उमा विश्वकर्मा। थोड़ी देर बाद सुपरवाइजर मित्तल का इसी ग्रुप पर मैसेज आता है कि उमा विश्वकर्मा एमटीएच अस्पताल में एडमिट है, जबकि उमा ने यह जानकारी न तो अपने सुपरवाइजर को दी थी एवं न ही तहसीलदार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को। जब ग्रुप में उसके अस्पताल में भर्ती होने का मैसेज चला तो इन चारों शिक्षिकाओं ने बचने के लिए इस बात को हवा दे दी कि तहसीलदार की प्रताडऩा के कारण ही उमा विश्वकर्मा को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है। मामला वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंच तो और तूल पकड़ लिया। कहते हैं ना कि अगर 10 व्यक्ति एक सच को झूठ बोलने लगें तो सच झूठ में ही तब्दील हो जाता है और यही कहावत ईमानदारी से कार्य कर रहीं तहसीलदार पर चरितार्थ हुई।
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