
डेस्क: कैश कांड (Cash Scandal) के बाद न्यायपालिका (Judiciary) पर एक और गंभीर आरोप लगाया गया है. NCLAT के सदस्य जस्टिस शरद कुमार शर्मा (Justice Sharad Kumar Sharma) ने चौंकाने वाला दावा किया. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट (High Court) के एक जज ने उनसे संपर्क कर एक विशेष वादी के पक्ष में फैसला सुनाने के लिए उनसे संपर्क किया था. जस्टिस ने जज का नाम उजागर नहीं किया है.
NCLAT जस्टिस शरद कुमार ने दावा किया कि उनसे संपर्क करने के बाद जज ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. उन्होंने बताया कि संपर्क करने वाले जज हाई कोर्ट के सबसे सम्मानित जजों में से एक हैं. सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने दावों की जांच के आदेश दिए हैं.
सूत्रों के अनुसार, इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी करेंगे और वह यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि जिस जज ने जस्टिस शरद से संपर्क किया, वह कौन था. जस्टिस शरद कुमार ने किसी भी जज का नाम नहीं लिया है.
कैश कांड जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़ा मामला है. दरअसल, पिछले साल 14 मार्च को होली की रात जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में आग लग गई थी. हादसे के वक्त जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी घर पर नहीं थे. आग बुझाने बड़ी संख्या में फायर ब्रिगेड और पुलिस बल आ गए. आग बुझाते हुए जस्टिस वर्मा के घर कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नोटों की गड्डी मिली थी. यह भी बताया गया कि यह पूरा कमरा नोटों से भरा था.
कैश कांड मामले की जांच करने के लिए चीफ जस्टिस ने तीन जजों की कमेटी का गठन किया था, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरमन शामिल थे.
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