1584 पाकिस्तानी सिंधियों को इंदौर से मिली नागरिकता

  • तीन साल में ही सबसे ज्यादा आय प्रकरण, एडीएम मुख्यालय से मिल रही अनुमति

इंदौर। किस्तान से आने वाले शरणार्थियों को 2018 से लगातार नागरिकता दी जा रही है। पाकिस्तानी सिंधियों की संख्या अब इंदौर में 1500 के पार पहुंच चुकी है। पिछले तीन साल के आंकड़ों में ही सबसे ज्यादा नागरिकता दी गई है। तीन साल के आंकड़ों के अनुसार हर साल लगभग साढ़े चार सौ नागरिकों की संख्या बढ़ी है।

पाकिस्तान से आकर भारत में नागरिकता की चाहत रखने वाले विस्थापितों का आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। हालांकि जब से कलेक्टर को नागरिकता देने के अधिकार प्राप्त हुए है, तब से सबसे ज्यादा मामले प्रकाश में आने लगे हैं। इंदौर जिले से ही अब तक 2018 से 2023 के बीच 1584 पाकिस्तानी सिंधियों को जहां भारत की नागरिकता मिली है, वहीं वे अब इंदौर के रहवासी हो गए हैं। एडीएम रोशन राय के अनुसार 2021 में 474, 2022 में 521, 2023 में 425 को भारतीय नागरिकता स्वीकृत की गई है। उनके अनुसार भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत नागरिकता स्वीकृत की जा रही है।

12 साल में मिलती है नागरिकता
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार भारतीय नागरिकता लेने के लिए आवेदक का देश में लगभग 12 साल तक रहना अनिवार्य किया गया है। भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6/1 के अनुसार ऐसे नागरिक, जो 12 साल से देश में निवास कर रहे हैं, उन्हे अपने 12 साल के देश में निवास करने का सबूत देना होता है और जरूरी दस्तावेज के साथ नागरिकता स्वीकृत की जाती है, वहीं ऐसे आवेदक जिनके माता-पिता विभाजन के वक्त पाकिस्तान में रह गए थे और अब वे भारत में वापस आना चाहते हैं, उन्हें भी सात साल तक देश में रहने के बाद ही नागरिकता दी जाती है। इस प्रक्रिया में 5 (1)ए की धारा के अनुसार विभाजन से पहले माता-पिता का जन्म यदि भारत में हुआ हो तो नागरिकता प्रदान की जाती है। बशर्ते माता या पिता के भारत में जन्म का प्रमाण पत्र मौजूद हो।

माता-पिता को मिली पर बच्चों के लिए भी सात साल का नियम
विभागीय अधिकारियों के अनुसार ऐसे आवेदक, जिन्हें भारतीय नागरिकता मिल चुकी है, लेकिन उनके बच्चे अब भी अन्य देश के निवासी है, उन्हें माता-पिता की नागरिकता के आधार पर स्वस्वीकृत नागरिकता नहीं दी जाती। बच्चों को सात साल का रेसीडेंसी प्रूफ दिखाना होता है। इंदौर जिले में हर दिन आवेदक नागरिकता के लिए पहुंच रहे हैं। विभाग के कर्मचारियों के अनुसार हर महीने लगभग 15 से अधिक आवेदन नागरिकता स्वीकृति के लिए आ रहे हैं।

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