- किन्नरों को मिलेगी पहचान… पहली बार आधार, मतदाता परिचय पत्र सहित राशन की पात्रता पर्ची व अन्य दस्तावेज बनेंगे…
इंदौर। किन्नरों (transgender) को सुप्रीम कोर्ट ( supreme court) के निर्देश पर संवैधानिक नागरिक (constitutional citizen) अधिकार दिए जाना हैं। ट्रांसजेंडर (transgender) की अलग श्रेणी बनाकर मतदाता परिचय-पत्र से लेकर उनके आधार कार्ड, आयुष्मान, राशन पर्ची (Aadhar Card, Ayushman, Ration Slip ) सहित अन्य दस्तावेज भी बनना हैं। इस मामले में अब इंदौर में पहल की जा रही है। यह पहला ऐसा जिला होगा, जहां पर किन्नर समाज के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ उनके सभी सरकारी पहचान-पत्र (identity card) भी तैयार करवाए जाएंगे। इंदौर में लगभग दो हजार नकली किन्नर भी घूम रहे हैं और असली किन्नरों की संख्या सिर्फ 212 ही है। कल इन किन्नरों को शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी गई। साथ ही पहचान-पत्र बनवाने की प्रक्रिया भी समझाई गई।
नगर निगम (Muncipal Corporatin) और विधिक (MLA) सेवा प्राधिकरण द्वारा शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देने के लिए कल पंढरीनाथ स्थित मराठी समाज के मंगल सदन सभागृह में किन्नरों का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें स्वसहायता समूह से जोडक़र उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाओं के साथ-साथ आधार कार्ड, मतदाता परिचय-पत्र, राशन पर्ची, आयुष्मान कार्ड सहित अन्य सुविधाएं देने का भी निर्णय लिया गया। निगमायुक्त प्रतिभा पाल की पहल पर पहली बार इंदौर जिले के 212 किन्नरों को स्वसहायता समूह से जोडऩे का सार्थक कार्य भी शुरू हुआ, जिसके लिए 30-30 किन्नरों के तीन स्वसहायता समूह मौके पर ही बना दिए। किन्नर समाज को लंबे समय से समझाने के कार्य में जुटी संस्था परम पूज्य रक्षक आदिनाथ वेलफेयर एंड एजुकेशन सोसायटी की अध्यक्ष रूपाली जैन ने बताया कि इंदौर में लगभग दो हजार नकली किन्नर घूम रहे हैं। इसकी जानकारी इन असल किन्नरों को भी है और ये कई मर्तबा पुलिस-प्रशासन (police administration) और सामाजिक कल्याण विभाग में शिकायतें भी कर चुके हैं। दरअसल पहले भी कई बार नकली किन्नर पकड़ाए हैं, जो अवैध वसूली से लेकर अन्य कार्यों में लिप्त रहे। अब पहचान-पत्र बनाने के चलते असली और नकली किन्नरों की आसानी से पहचान हो जाएगी और जिले में जो 212 असल किन्नर हैं उन्हीं को शासन की योजनाओं का लाभ मिलेगा। रूपाली जैन के मुताबिक नंदलालपुरा और एमआर-10 पर ही किन्नरों के बड़े डेरे हैं, जहां पर अधिकांश किन्नर एक साथ रहते हैं। अभी नवरात्रि में चूंकि ये किन्नर व्यस्त रहते हैं, इसलिए नवरात्रि बाद शिविर लगाकर इनके पहचान-पत्र बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। किन्नरों के गुरुओं से भी अनुरोध किया गया कि वे अपने डेरों के अन्य किन्नरों, जिनके आधार कार्ड या परिचय-पत्र नहीं बने हैं, के लिए शिविरों के माध्यम से परिचय-पत्र बनवाएं। मात्र 16 के पास आधार कार्ड मिले हैं और मतदाता परिचय-पत्र भी मात्र तीन लोगों के ही बने हैं। कल हुए आयोजन में किन्नर खुशी, शेबू, पायल और त्रिवेणी को समूह की अध्यक्ष और सचिव बनाया गया और योजनाओं का लाभ वास्तविक, यानी असली किन्नरों को ही देने का निर्णय भी लिया गया। कल कार्यक्रम के दौरान भी एक शिविर आयोजित किया गया था, जिसमें हाथोहाथ कुछ किन्नरों के आधार कार्ड भी बना दिए और उनके उत्थान के लिए अन्य योजनाओं से भी उन्हें जोड़ा जा रहा है। निगमायुक्त प्रतिभा पाल की पहल पर इंदौर प्रदेश का ऐसा पहला जिला बन जाएगा, जहां किन्नरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वसहायता समूहों से जोड़ा जा रहा है।