दो साल में रिश्वत लेते 41 सरकारी नुमाइंदे पकड़े

  • 12 पटवारी, 2 पुलिस कर्मी, 2 पंचायत सचिव सहित 1 शिक्षक, जल संसाधन और हाऊसिंग बोर्ड के बाबुओं को भी लोकायुक्त पुलिस ने पकड़ा

उज्जैन। लोकायुक्त पुलिस द्वारा दो साल में की गई कार्रवई में यह बात सामने आई है कि छोटे पद के कर्मचारियों को निशाना बनाया गया जिसमें शिक्षक, पटवारी, आरक्षक एवं तृतीय श्रेणी कर्मचारी शामिल है तथा बड़ी मछलियों पर हाथ नहीं डाला गया। शिक्षा विभाग से लेकर राजस्व विभाग और अन्य कई विभागों में भ्रष्टाचार का दीमक फैलता जा रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उज्जैन लोकायुक्त पुलिस ने ऐसे 41 अधिकारी-कर्मचारियों को दो साल में रिश्वत लेते रंगेहाथों धरदबोचा है। एक ओर केंद्र तथा राज्य सरकारें सरकारी महकमों में हर काम में पारदर्शिता लाने के लगातार दावे कर रही है। वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार का चस्का सरकारी मुलाजिमों को लगता जा रहा है। उज्जैन लोकायुक्त पुलिस ने पिछले 24 महीनों में पुलिस और राजस्व विभाग समेत आधा दर्जन से अधिक सरकारी विभागों में 41 रिश्वत खोर अधिकारी-कर्मचारियों को रंगेहाथ घूस लेते पकड़ा है।


लोकायुक्त डीएसपी वसंत श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने टीम के साथ पिछले 24 महीनों में भ्रष्टाचार के 41 मामले दर्ज किए हैं। उन्होंने बताया कि फरियादी की शिकायत पर यह सभी कार्रवाई की गई है और मौके पर दबिश देकर रिश्वतखोर आरोपियों को रंगेहाथों पकड़ा है। इतना ही नहीं गिरफ्त में आए सभी 41 भ्रष्ट अध्किारी-कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में केस भी दर्ज किए गए हैं। डीएसपी श्रीवास्तव के अनुसार दो साल में छापामार कार्रवाई के दौरान उज्जैन लोकायुक्त टीम ने 12 पटवारी को घूस लेते पकड़ा है। इसके अलावा 2 पुलिस कर्मियों में एक टीआई तथा एक प्रधान आरक्षक भी रिश्वत लेते ट्रेस हुए हैं। इसके अलावा दो पंचायत सचिव, एक शिक्षक भी घूस लेते पकड़ाए थे। इनके अतिरिक्त जल संसाधन विभाग और उसके बाद हाल ही में हाऊसिंग बोर्ड के बाबू को रंगेहाथों पकड़ा था। जल संसाधन के बाबू ने 5 हजार की घूस ली थी और हाऊसिंग का बाबू 10 हजार की रिश्वत लेते पकड़ाया था। सभी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किए गए हैं।

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