8425 मैट्रिक टन पटरियां सप्लाय होगी इंदौर मेट्रो के लिए

पहला लॉट पहुंचा – डिपो में पटरियां बिछाने की तैयारियां शुरू, कलकत्ता की टैक्समाको कम्पनी को मिला है ठेका
इंदौर। मेट्रो प्रोजेक्ट (Metro Project) में प्रायोरिटी कॉरिडोर (Priority Corridor) पर 24 ही घंटे काम चल रहा है, ताकि अगस्त-सितम्बर के महीने में ट्रायल रन (Trial Run) लिया जा सके। जिंदल स्टील को पटरियां सप्लाय का ठेका दिया गया है और लगभग 8425 मैट्रिक टन पटरियों की सप्लाय जिंदल द्वारा की जाएगी। कल पहला लॉट इंदौर पहुंचा। रायगढ़ से यह ट्राला चार दिन पूर्व रवाना हुआ था, जिसमें 60 मैट्रिक टन वजन की पटरियां मौजूद है, जिसे डिपो में बिछाया जाएगा, जिसकी तैयारी पटरियों की रवानगी के साथ ही शुरू हो गई है। गिट्टी बिछाने, स्लीपर डालने के साथ पटरियों को बिछाने की शुरुआत भी हफ्तेभर में शुरू हो जाएगी। एक के बाद एक पटरियों की सप्लाय इसी तरह होती रहेगी। अभी जो पटरियां आई हैं, वह तो मात्र आधा किलोमीटर ही बिछ पाएंगी। एक किलोमीटर के लिए लगभग 120 मैट्रिक टन पटरियों की आवश्यकता पड़ती है। कलकत्ता टैक्समाको कम्पनियों को बिछाने का ठेका दिया गया है, जिसकी लागत लगभग 253 करोड़ रुपए है। डिपो के साथ-साथ साढ़े 5 किलोमीटर के प्रायोरिटी कॉरिडोर (Priority Corridor) पर ये पटरियां बिछाई जाएंगी। वहीं दूसरी तरफ रोबोट चौराहा से पलासिया के लगभग 7 किलोमीटर के हिस्से के लिए भी मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर रहा है, ताकि इस हिस्से में काम शुरू हो सके। मध्य क्षेत्र की बाधा अभी कायम है।

इंदौर-भोपाल मेट्रो में प्रायोरिटी कॉरिडोर को विधानसभा चुनाव से पहले तैयार करने की चुनौती है, जिसके चलते अब तेज गति से काम किया जा रहा है। पटरी बिछाने के साथ इलेक्टीफिकेशन का काम भी शुरू हो जाएगा। ट्रायल रन के लिए जो साढ़े 5 किलोमीटर का प्रायोरिटी कॉरिडोर बनाया जा रहा है, उसमें लगभग 5 मेट्रो स्टेशन भी आएंगे, लिहाजा उनका भी काम रात-दिन चल रहा है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण गांधी नगर मेट्रो स्टेशन का काम करने के लिए सुपर कॉरिडोर के मैन केरेजवे पर भी यातायात बंद कर रखा है और दोनों तरफ सर्विस रोड भी प्राधिकरण ने तैयार की है। इसके साथ ही पाई गर्डर लगातार डाली जा रही है। क्रेनों के साथ-साथ मजदूरों की संख्या भी बढ़ाई गई है। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से जिंदल फैक्ट्री में जो पटरियां तैयार हो रही है उन्हें ट्रालों के जरिए इंदौर और भोपाल पहुंचाया जा रहा है। अभी पहला ट्राला इंदौर के लिए रवाना हुआ था, जो कल सुबह पहुंच गया। अब टेस्टिंग के साथ अनलोड करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। वहीं मप्र मेट्रो कार्पोरेशन के एमडी मनीष सिंह के मुताबिक अब लगातार ट्रालों के जरिए पटरियों के पहुंचने का सिलसिला जारी रहेगा, क्योंकि पटरी बिछाने वाली कम्पनी टैक्समाको को भी काम दिया जा चुका है और उसने भी तैयारियां कर ली है। जिंदल स्टील स्टील को भोपाल के साथ इंदौर मेट्रो के लिए भी पटरियां सप्लाय करने का ठेका मिला है। भोपाल मेट्रो के लिए जहां 8120 मैट्रिक टन पटरियां लगेगी। वहीं इंदौर मेट्रो के लिए 8425 मैट्रि टन पटरियों की जरूरत बताई गई है। इसमें 4500 मैट्रि टन पटरियां चार से पांच महीने में सप्लाय करना होगी और फिर 1500 मैट्रिक टन, उसके बाद 18 से 19 महीनों में और फिर 2425 मैट्रिक टन 30 से 34 महीने में सप्लाय होगी। एक दर्जन से ज्यादा पाई गर्डर भी लॉन्च हो चुकी है। वहीं पाइल फाउंडेशन का काम भी प्रायोरिटी कॉरिडोर पर 90 फीसदी से अधिक पूरा हो गया है। वहीं पटरियां बिछाने की तैयारियां ठेकेदार फर्म टैक्समाको ने कर ली है। अभी जो पहला लॉट आया है उसमें 75 एकड़ पर बन रहे यार्ड में भी पटरियां बिछना है, जिसकी तैयारी मौके पर शुरू भी हो गई है। मेट्रो से जुड़े तकनीकी अधिकारियों का कहना है कि लगभग एक हफ्ते में पटरियां बिछाने का काम शुरू हो जाएगा। वहीं वहीं दूसरी तरफ रोबोट से बंगाली चौराहा और पलासिया के बीच एलिवेटेड कॉरिडोर के लिए भी टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, क्योंकि इस पर वैसे भी कोई परेशानी नहीं है। साढ़े 33 किलोमीटर के मेट्रो प्रोजेक्ट में अभी 17 किलोमीटर एलिवेटेड ट्रैक पर तेजी से काम चल रहा है, क्योंकि उसके बाद का काम रूका पड़ा है, क्योंकि मध्य क्षेत्र को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है।

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