BJP की सुनामी में भी सीट नहीं बचा पाए ज्योतिरादित्य सिंधिया के 9 समर्थक, 11 ही चुनाव जीते

भोपाल (Bhopal) । मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Elections) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रचंड जीत हासिल की है. बीजेपी ने बहुमत से कहीं अधिक 163 सीटों पर कब्जा जमा लिया. जबकि कांग्रेस (Congress) महज 66 सीटों पर सिमट गई. बीजेपी की सुनामी में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Minister Jyotiraditya Scindia) के समर्थक उम्मीदवारों का प्रदर्शन अपेक्षा के मुताबिक नहीं रहा.

साल 2020 में सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर 22 विधायक बीजेपी में शामिल हुए थे. इनमें से 6 सीटों पर इस बार सिंधिया गुट के विधायकों और नेताओं का टिकट काट दिया गया. हालांकि, 2023 के चुनाव में राजपरिवार से जुड़े चार अन्य समर्थकों को मौका दिया गया था. कुल मिलाकर इस बार के विधानसभा चुनाव में सिंधिया के 20 समर्थकों ने चुनाव लड़ा और उनमें से 11 ही फतह हासिल कर पाए, बाकी 9 को पराजय का सामना करना पड़ा. आइए, जानते हैं कि किस सिंधिया समर्थक ने कहां से चुनाव जीता और हारा…

प्रद्युम्न सिंह तोमर (जीते):- ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र से कट्टर समर्थक और बीजेपी प्रत्याशी प्रद्म्युन सिंह तोमर ने 19140 वोटों से जीत हासिल की. तोमर ने कांग्रेस के सुनील शर्मा को पराजित किया. तोमर को इस चुनाव में 104775 और सुनील शर्मा को 85635 मत हासिल हुए.

तुलसी सिलावट (जीते):- सिंधिया के ‘हनुमान’ कहे जाने वाले तुलसीराम सिलावट बीजेपी के टिकट पर सांवेर सीट से विजयश्री हासिल हुई. सिलावट ने कांग्रेस की रीना बौरासी को 68 हजार 854 वोटों से परास्त कर दिया.

राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव (हारे):- सिंधिया के साथ ही बीजेपी में शामिल हुए राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को इस चुनाव में शिकस्त झेलनी पड़ी. कांग्रेस के भंवरसिंह शेखावत ने बीजेपी के प्रत्याशी राजवर्धन को 2976 वोटों से चुनाव हराया.

प्रभुराम चौधरी (जीते):- रायसेन जिले की सांची विधानसभा सीट से सिंधिया गुट के बीजेपी प्रत्याशी डॉ प्रभुराम चौधरी चुनाव जीतने में सफल रहे. कांग्रेस उम्मीदवार डॉ जीसी गौतम को बीजेपी के डॉक्टर चौधरी से शिकस्त खानी पड़ी. जीतने और हारने वाले प्रत्याशियों के बीच 44 हजार 273 वोटों का फासला रहा.

गोविंद सिंह राजपूत (जीते):- शिवराज सरकार में राजस्व और परिवहन जैसे विभाग संभालने वाले सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत भी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे. सागर जिले की सुरखी सीट से बीजेपी प्रत्याशी गोविंद सिंह राजपूत ने 2178 वोटों से चुनाव जीता. कांटे की टक्कर के माने जा रहे इस मुकाबले में राजपूत को 83 हजार 551 और कांग्रेस के उम्मीदवार नीरज शर्मा को 81 हजार 373 वोट मिले.

बिसाहूलाल सिंह (जीते):- ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी बिसाहूलाल साहू ने भी अनूपपुर सीट से जीत दर्ज की. साहू ने कांग्रेस के रमेश कुमार सिंह को 20 हजार 419 वोटों से पराजित किया. शिवराज सरकार के वरिष्ठ मंत्री बिसाहूलाल को 77 हजार 110 वोट मिले.

हरदीप सिंह डंग (जीते):- मंदसौर जिले की सुवासरा सीट से भी सिंधिया समर्थक हरदीप सिंह डंग की जीत हुई. डंग ने 22 हजार 669 वोटों से कांग्रेस के राकेश पाटीदार को पराजित किया.

महेंद्र सिंह सिसौदिया (हारे):- गुना जिले की बमोरी सीट से सिंधिया के बेहद करीबी और पुराने साथी महेंद्र सिंह सिसौदिया अपनी सीट नहीं बचा पाए. बीजेपी ने सिसौदिया का टिकट काटने की तैयार रखी थी, मगर सिंधिया के दबाव में दांव लगा दिया. कांग्रेस के ऋष्ज्ञि अग्रवाल ने सिसौदिया को 14 हजार 796 वोटों से शिकस्त देकर जीत हासिल की है.

अशोकनगर के मुंगावली से बृजेंद्र सिंह यादव (जीते):- अशोकनगर की मुंगावली सीट से बृजेंद्र सिंह यादव अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे. सिंधिया गुट के यादव ने कांग्रेस के राव यादवेंद्र सिंह को 5422 मतों से चुनाव हराया.

सुरेश धाकड़ राठखेड़ा (हारे):- 2020 का उपचुनाव जीतने वाले सुरेश धाकड़ रांठखेड़ा को भी करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. कांग्रेस के कैलाश कुशवाह ने बीजेपी प्रत्याशी सुरेश को 49 हजार 481 वोटों से हार का स्वाद चखाया. सिंधिया समर्थक धाकड़ को शिवपुरी जिले के पोहरी चुनाव क्षेत्र में प्रचार के दौरान तमाम जगह विरोध का सामना करना पड़ा था.

अन्य 5 सिंधिया समर्थक मौजूदा विधायकों की भी किस्मत का भी हुआ फैसला:-
अशोकनगर से जयपाल सिंह जज्जी (हारे):- कांग्रेस छोड़कर सिंधिया के साथ बीजेपी का दामन थामने वाले जजपाल सिंह जज्जी यह चुनाव नहीं जीत सके. अशोकनगर सीट से कांग्रेस के हरिबाबू राय ने बीजेपी के जज्जी को 8373 वोटों से हरा दिया.

मुरैना के अंबाह से कमलेश जाटव (हारे) :- मुरैना की अंबाह विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी कमलेश जाटव भी चुनाव हार गए. कांग्रेस के देवेंद्र रामनारायण सखवार ने सिंधिया समर्थक जाटव को 22 हजार 627 वोटों से पराजित किया.

देवास के हाटपिपलिया से मनोज चौधरी (जीते):- देवास जिले की हाटपिपलिया सीट से मनोज चौधरी कांग्रेस के राजवीर सिंह राजेंद्र सिंह बघेल को हराकर चुनाव जीत गए. बीजेपी उम्मीदवार चौधरी को इस चुनाव में 89 हजार 842 मत मिले. उनके मुकाबले कांग्रेस प्रत्याशी 85 हजार 700 वोट पा सके.

बीजेपी ने सिंधिया समर्थक उन 3 नेताओं को भी फिर से टिकट दिया था, जो 2020 के उपचुनाव में हार गए थे

डबरा (ग्वालियर) से इमरती देवी (हारीं):- सिंधिया की कट्टर समर्थक बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी को हराकर कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश राजे ने यह कांटे का मुकाबला 2267 वोटों से जीत लिया. इमरती देवी की यह दूसरी हार है. इससे पहले कांग्रेस के ही राजे ने 2020 के उपचुनाव में इमरती ने हराया था.

सुमावली (मुरैना) से ऐंदल सिंह कंषाना (जीते):- मुरैना जिले की सुमावली सीट पर भी रोचक मुकाबला देखने को मिला, मगर जीत सिंधिया समर्थक ऐदल सिंह कंषाना के खाते में आई. कंषाना ने 16008 वोटों से बहुजन समाज पार्टी के कुलदीप सिंह सिकरवार को पराजित किया. जबकि तीसरे नंबर कांग्रेस के अजब सिंह कुशवाह रहे. बीजेपी प्रत्याशी कंषाना 72 हजार 502 वोट पाकर जीते.

मुरैना से रघुराज सिंह कंषाना (हारे):- मुरैना सीट से रघुराज सिंह कंषाना चुनाव हार गए. कांग्रेस के दिनेश गुर्जर ने 19 हजार 871 वोटों से जीत हासिल कर इस विधानसभा पर कब्जा जमा लिया. तीसरे नंबर पर यहां बीजेपी के बागी राकेश रुस्तम सिंह रहे.

4 अन्य सिंधिया समर्थकों उम्मीदवारों पर भी नजर
ग्वालियर पूर्व से माया सिंह (हारीं):- पूर्ववर्ती शिवराज सरकार मंत्री रह चुकीं सिंधिया परिवार की खास माया सिंह को इस बार कांग्रेस उम्मीदवार सतीश सिकरवार के खिलाफ लड़ाया गया था. लेकिन सिकरवार ने यह मुकाबला 15 हजार 353 वोटों से जीत लिया. 2020 के उपचुनाव में बीजेपी से बागी होकर सिकरवार ने सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल को पराजित किया था.

ग्वालियर की भितरवार सीट से मोहनसिंह राठौड़ (जीते):- इस सीट पर सिंधिया के कट्टटर समर्थक मोहनसिंह राठौड़ ने जीत दिलाकर बीजेपी के सूखे को खत्म कर दिया. राठौड़ ने यह चुनाव 22354 वोटों से जीता. 15 साल से यह सीट कांग्रेस के पास थी. इस सीट से पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव लगातार 3 चुनाव जीतते आ रहे थे.

राघौगढ़ से हीरेंद्र सिंह ‘बंटी’ (हारे):- विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी हीरेन्द्र सिंह ‘बंटी’ बेहद कम मार्जिन से चुनाव हारे हैं. जयवर्धन सिंह ने हीरेंद्र को महज 4505 वोटों से चुनाव हराया. 2018 के चुनाव में जयवर्धन सिंह 43 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते थे. लेकिन इस बार हीरेन्द्र सिंह ने दिग्विजय सिंह के पुत्र को कड़ी टक्कर देते हुए अंतिम राउंड की गिनती तक बांधे रखा. पता हो कि हीरेन्द्र सिंह को ज्योतिरादित्य सिंधिया का करीबी माना जाता है.

कोलारस से महेंद्र सिंह यादव (जीते): शिवपुरी जिले की कोलारस विधानसभा सीट से सिंधिया के करीबी महेंद्र यादव ने कांग्रेस को पटखनी दी है. उन्होंने कांग्रेस के बैजनाथ यादव 50973 से ज्यादा वोट से शिकस्त दी. 2018 विधानसभा के चुनाव में भाजपा के वीरेंद्र रघुवंशी ने इस सीट से जीत दर्ज की थी.

महल से जुड़े 7 नेताओं को नहीं मिला टिकट
बता दें कि नवंबर 2020 में उपचुनाव जीतने के बावजूद शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक शहरी विकास और आवास मंत्री ओपीएस भदौरिया (मेहगांव) का टिकट काट दिया गया. वहीं, उपचुनाव हारने वाले पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल (ग्वालियर पूर्व), जसवंत जाटव (करैरा), गिरिराज दंडौतिया (दिमनी), रणवीर जाटव (गोहद), रक्षा सरोनिया (भांडेर) को भी बीजेपी ने टिकट नहीं दिया.

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