दिसपुर। असम में आई प्राकृतिक आपदा से जनजीवन बेहाल है। बाढ़ और भूस्खलन से मरने वालों की संख्या 189 हो चुकी है। ब्रह्मपुत्र खतरे के निशान से 11 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। मंगलवार तक इसके 27 सेमी तक पहुंचने का अनुमान है। अब तक 70 लाख से ज्यादा लोग इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुए हैं। इस बीच सीएम सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि हम इस मुश्किल का डटकर सामना कर रहे हैं। इस आपदा से हम जीतेंगे। सोनोवाल ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार पीड़ितों व प्रभावितों को हर संभव मदद मुहैया करा रही है।
असम के 33 में से 33 जिले बाढ़ के पानी से डूबे हुए हैं। बाढ़ के कारण हजारों घर क्षतिग्रस्त हो गए, फसलें तबाह हो गईं और कई स्थानों पर सड़कें और पुल टूट गए। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) ने बाढ़ संबंधी अपनी दैनिक रिपोर्ट में बताया कि सोमवार को दो व्यक्तियों की मौत बारपेटा में और एक व्यक्ति की मौत दक्षिण सालमारा जिले में हुई। 26 की जान भूस्खलन की चपेट में आने के कारण गई। इस बार बरसात के मौसम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 90 पशुओं की जान चली गई।
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित धेमाजी जिले में करीब 58,000 लोग प्रभावित हुए हैं, जबकि बारपेटा में 45,800 लोग और लखीमपुर में 33,000 लोग प्रभावित हुए हैं। इसके मुताबिक, वर्तमान में 400 गांव बाढ़ की चपेट में हैं और 26,676 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है।
एएसडीएमए ने कहा कि धेमाजी, लखीमपुर, बिश्वनाथ, उदलगुरी, दर्रांग, नलबारी, बारपेटा, बोंगाईगांव, कोकराझार, धुबरी, दक्षिण सलमारा, गोलपाड़ा, कामरूप, मोरीगांव, होजई, नौगांव, गोलाघाट, जोरहाट, माजुली, शिवसागर, डिब्रूगढ़, तिनसुकिया और पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले बाढ़ की चपेट में हैं।
बुलेटिन में कहा गया कि एसडीआरएफ, जिला प्रशासन, नागरिक सुरक्षा और अंतर्देशीय जल परिवहन विभागों ने पांच जिलों में पिछले 24 घंटों के दौरान 9,303 लोगों को निकाला। अधिकारी पांच जिलों में 34 राहत शिविरों और वितरण केंद्रों का संचालन कर रहे हैं, जहां 1,075 लोगों ने आश्रय लिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ बाढ़ संबंधी हालात को लेकर चर्चा की। उन्होंने असम में बाढ़ के कारण पैदा हुए हालात से निपटने के लिए रविवार को राज्य को हरसंभव मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया।
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