हार के बाद कांग्रेस के तेवर नरम, अब INDIA सीट बंटवारे को भी तैयार

नई दिल्‍ली (New Delhi)। हाल ही में तीन हिंदी भाषी राज्यों के चुनाव में झटके के बाद कांग्रेस अब मिशन 2024 (mission 2024) के लिए नरम पड़ती दिख रही है। इसका असर INDIA गठबंधन (INDIA ALLIANCE) की रणनीति पर भी है। अब कांग्रेस का रुख थोड़ा लचीला दिख रहा है और उसने खुद ही पहल करते हुए जेडीयू, सपा और तृणमूल कांग्रेस से बात की है। इसके बाद पार्टी ने 19 दिसंबर को INDIA गठबंधन की मीटिंग का भी ऐलान कर दिया है। इसके अलावा कांग्रेस ने संकेत दिए हैं कि वह महाराष्ट्र, यूपी, बिहार और बंगाल जैसे राज्यों में क्षेत्रीय दलों के लिए कुछ सीटों का त्याग भी करने का तैयार है।


इन सभी राज्यों में कांग्रेस यदि गठबंधन में आती है तो वह जूनियर पार्टनर के ही रोल में रहेगी। ऐसे में वह इन राज्यों में त्याग के लिए तैयार है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि 19 दिसंबर को होने वाली मीटिंग में अब सीट शेयरिंग पर बात होगी और कॉमन एजेंडा तैयार किया जाएगा। इसके अलावा संयुक्त रैलियों पर भी प्लान बनेगा। फिलहाल कांग्रेस ने जेडीयू, सपा और टीएमसी से बातचीत शुरू की है। माना जा रहा है कि कांग्रेस के तेवर अब थोड़े नरम हो सकते हैं। इसकी वजह यह है कि हिंदी भाषी राज्यों में उसकी करारी हार हुई है।

अब याद आ रहे INDIA के साथी
कांग्रेस ने इन राज्यों में चुनाव से पहले सीट शेयरिंग की चर्चा को टाल दिया था। तब माना जा रहा था कि इसके पीछे कांग्रेस की रणनीति है और वह इन राज्यों में जीत के बाद अपनी बारगेनिंग पावर बढ़ाना चाहती है। हालांकि उसकी रणनीति पर पानी फिर गया, जब राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार चली गई और मध्य प्रदेश में उसकी वापसी की उम्मीदें धरी रह गईं। इन नतीजों के दिन ही कांग्रेस ने अगली मीटिंग का ऐलान कर दिया था, लेकिन नीतीश कुमार, अखिलेश यादव और ममता बनर्जी ने पहुंचने से इनकार किया था। इसके बाद नई तारीख 19 दिसंबर की तय की गई।

DMK से मांगी नेताओं पर लगाम कसने वाली मदद
इस बीच कांग्रेस ने डीएमके से भी संपर्क साधा है और लीडरशिप से कहा है कि वह अपने नेताओं को संभलकर बोलने की नसीहत दे। हिंदी भाषी राज्यों को गोमूत्र स्टेट कहने और सनातन पर विवाद के चलते कांग्रेस को भी घिरना पड़ा है। भले ही तमिलनाडु में ही अपना जनाधार रखने वाली डीएमके को इस विवाद से ज्यादा नुकसान नहीं है, लेकिन कांग्रेस अपने खिलाफ नैरेटिव बनने की चिंता से परेशान है। ऐसे में उसने डीएमके से कहा है कि वह नेताओं को नसीहत देकर मदद दे। माना जा रहा है कि कांग्रेस के दखल के बाद ही गोमूत्र राज्यों वाले बयान पर एस. सेंथिलकुमार ने अपना बयान वापस ले लिया था।

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