अंजुमन:तालीमी इदारा या सियासी अखाड़ा

  • चौतरफा विरोध के बीच मंगलवार सुबह चार्ज लेने पहुंची नई कमेटी, दागदार नियुक्तियों को लेकर सोशल मीडिया पर गुस्सा जाहिर कर रहे लोग

जबलपुर। मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड की ओर से गठित कमेटियों में शामिल नाम उजागर होते ही विरोध शुरू हो जाता है। शहर के अंजुमन मढ़ाताल की प्रबंधन कमेटी का भी यही हाल है। अंजुमन की कमान एक बार फिर दागदार लोगों को सौंपने पर बवाल मचा है। अग्निबाण ने पड़ताल में पाया कि जबसे ज्यादा विवाद मिर्जा नसीम बेग, सैयद मुबश्शिर अली, फैसल अंसारी, शेख शमशाद और मोहम्मद जफर खान के नामों को लेकर है। इधर एक हफ्ते के मंथन के बाद नई कमेटी मंगलवार की सुबह कार्यभार संभालने अंजुमन मढ़ाताल पहुंची। जहां से पिछली कमेटी के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्य गायब रहे। बीते एक हफ्ते से हालात ये हैं कि अंजुमन तालीमी इदारा न होकर सियासी अखाड़ा बन गया है। जहां पर तालीमी तरक्की के साथ बच्चों के भविष्य को ताक में रख सियासी पैमानों पर फैसले लिए जा रहे हैं।


उपाध्यक्ष मिर्जा नसीम बेग की नियुक्ति विवादित
नवनियुक्त कमेटी में सबसे ज्यादा विवाद उपाध्यक्ष मिर्जा नसीम बेग को लेकर है। दरअसल इसके पहले भी 2018-19 में अनवर हुसैन की अध्यक्षता में बनी कमेटी में भी मिर्जा नसीम बेग उपाध्यक्ष रहे। मिर्जा नसीम बेग पर आरोप है कि उन्होंने अपने अध्यक्ष अनवर हुसैन के साथ मिलकर नियमों के खिलाफ कई काम किए हैं। पद पर रहते हुए अध्यक्ष अनवर हुसैन और मिर्जा नसीम बेग ने अंधेरदेव स्थित शॉपिंग प्लाजा की 12 दुकानों की किरायेदारियां अवैध रूप से ट्रांसफर की हैं। इसके अलावा श्रीनाथ की तलैया स्थित शॉपिंग सेंटर की 4 दुकानें भी नियमों के खिलाफ जाकर किरायेदारियां ट्रांसफर की हैं। इसके साथ ही सिहोरा स्थित शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की एक दुकान की भी अनाधिकृत रुप से किरायेदारी ट्रांसफर की। इस अनियमितताओं को लेकर मप्र वक्फ बोर्ड ने तत्कालीन अध्यक्ष और उपाध्यक्ष समेत समस्त कार्यकारिणी को वक्फ सम्पत्ति पट्टा नियम 2014 का खुला उल्लंघन बताते हुए नोटिस जारी किया। इसके अलावा तत्कालीन अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की टीम ने वक्फ एक्ट 1995 संशोधित 2013 की धारा 56, उपधारा (2)के अंगर्तत आने वाले नियमों का भी उल्लंघन किया। इस नियम के खिलाफ जाकर अध्यक्ष-उपाध्यक्ष की जुगलबंदी ने कई किराएदारों को एक साल से ज्यादा के लिए वक्फ सम्पत्ति किराए पर देने का साहस दिखाया। जिसे बोर्ड ने नोटिस जारी कर शून्य कर दिया। इसके अलावा भी कई अन्य आरोपों के दाग भी मिर्जा नसीम बेग के दामन पर हैं। जिसमें गलगला कब्रिस्तान का मामला भी शामिल है।

दूसरे उपाध्यक्ष मुबश्शिर अली भी दागदार
इसी तरह नवनियुक्त कमेटी के दूसरे उपाध्यक्ष सैयद मुबश्शिर अली की इमेज भी साफ-सुथरी नहीं है। उनका भी शुमार दागदारों में होता है। ये जनाब भी 2018-19 में अनवर हुसैन की अध्यक्षता में बनी कमेटी में सदस्य के तौर पर मौजूद थे। उस दौरान अंजुमन में जितने भी नियमों के खिलाफ काम हुए इनकी भी भागीदारी दरकिनार नहीं की जा सकती। वैसे नवनियुक्त उपाध्यक्ष सैयद मुबश्शिर अली सीएए-एनआरसी आंदोलन के दौरान भाजपा के खिलाफ सीना तान कर खड़े थे, लेकिन कुछ समय बाद ही भाजपा की विचारधारा से इतने प्रभावित हुए कि भाजपा समर्थित मुस्लिम नेताओं के संपर्क में रहने लगे। भाजपा के मुस्लिम नेताओं के इतने खास हो गए कि दो बार अंजुमन इस्लामिया ट्रस्ट के प्रबंधन कमेटी में जगह हासिल कर ली। इसके अलावा फैसल अंसारी, मोहम्मद जफर खान और शेख शमशाद की नियुक्तियों पर भी सवाल उठ रहे हैं।

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