लोगों के मताधिकार का हनन करके प्रजातंत्र का भी अपहरण करने का घिनौना कृत्य कर रही है भाजपा- दिलीप ठक्कर

इन्दौर। इन्दौर की राजनैतिक घटना भाजपा की विनाशकाले विपरीत बुद्धी ही है। भाजपा प्रत्याशी तो वैसे ही जीता हुआ था, तो फिर भाजपा नेताओं को राजनीतिक नंगे होने की क्या जरूरत थी, इसकी बड़ी कीमत तो अब आगे चुकाना है? क्योंकि इससे देश जान गया है की ये भाजपा आम मतदाताओं के वोटों के अपहरण से सत्ता पाती है।

और आम लोगों के मताधिकार का हनन करके प्रजातंत्र का भी अपहरण करने का घिनोना कृत्य करती है। फिर माध्यम सत्ता की ताकत हो या ईवीएम हो? जिस तरीके का घटनाक्रम कल दोपहर में नामांकन वापस लेते समय हुआ है, उससे तो यह सब जाहिर होता है की इंदौर में ना तो निर्वाचन आयोग है, ना ही जिला निर्वाचन अधिकारी कलेक्टर, अगर कोई है तो केवल और केवल भाजपा की गुंडागर्दी।

गौरतलब है कि निर्वाचन के लिए उम्मीदवार को नामांकन फॉर्म भरना हो तो 10 लोगों की आवश्यकता पड़ती है, उनके दस्तखत न हो तो फॉर्म जमा नहीं होता यह कौन सा नया नियम आ गया कि प्रत्याशी के बगैर ही फर्जी हस्ताक्षर से केवल एक प्रस्तावक को लाकर गुंडागर्दी और जबरदस्ती डरा धमका कर उस प्रस्तावक को झूठी कहानी गडकर हस्ताक्षर करवाए गए और लोकतंत्र की हत्या करने के लिए मेरे द्वारा भरा गया निर्दलीय प्रत्याशी का नामांकन वापस ले लिया गया।

 

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यह बात आज प्रेस क्लब में कांग्रेस आईटी सेल के प्रदेश सचिव दिलीप ठक्कर ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि भाजपा के कुछ नेताओं ने मेरे प्रस्तावक को जबरदस्ती झूंठ के मायाजाल में फंसाकर हस्ताक्षर करवा कर मेरा नामांकन वापस करवा दिया, यह केवल मेरे साथ ही नहीं बल्कि मेरे अलावा एक और निर्दलीय प्रत्याशी धर्मेन्द्र सिंह झाला के साथ भी यही कर गया प्रत्याशी की बगैर मौजूदगी में भी नामांकन फॉर्म वापस उठा लिया जाता है, ना उनसे ओरिजिनल दस्तावेज मांगे जाते हैं, ना उससे पूछा जाता है कि आपका प्रत्याशी कहां है क्या हो गया है आज लगता है मोदी है तो मुमकिन है गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार, हत्या सब कुछ है।

ये राजनीति का सबसे नंगा पन है। जनता इन्हें इसका आगे के चरणों में मूंहतोड़ जवाब देगी। ओर आम जनता को आनेवाले सभी चरणों में दलगत राजनीति से उपर उठकर बहिष्कार के जरिये जवाब हर हाल मे पुरे देश में देना ही चाहिए, क्योंकि ये तो आम मतदाताओं को अपने मताधिकार से वंचित कर सत्ता हथियाने का नंगा पन है। मैंने तो कूछ भी नहीं खोकर बहुत कुछ पा लिया है। – दिलीप ठक्कर, निर्दलीय प्रत्याशी

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