नए साल पर भाजपा रहेंगे ये तीन टारगेट, नेहरू का रिकॉर्ड, एक पुराना एजेंडा और साउथ में एंट्री

नई दिल्‍ली (New Delhi) । नए साल 2024 की शुरुआत हो चुकी है। इस नए वर्ष (new year) से सभी की अपनी अपेक्षाएं हैं, लेकिन देश की राजनीति (राजनीति ) के लिहाज से भी यह साल बेहद अहम है। इस साल आम चुनाव (General election) होने वाले हैं, जिसके नतीजे बता देंगे कि अगले 5 साल फिर से मोदी सरकार (Modi government) ही रहेगी या फिर देश को नई सरकार मिलेगी। अब तक आए सर्वे बताते हैं कि फिलहाल भाजपा को अपरहैंड और पीएम नरेंद्र मोदी का जादू कायम है। हालांकि भाजपा इसके साथ ही तीन चीजों पर फोकस कर रही है, जिसके जरिए वह 2024 को यादगार बनाना चाहेगी। दरअसल 2024 के आम चुनाव में यदि भाजपा के एनडीए गठबंधन को जीत मिलती है तो यह बड़ी सफलता होगी और वह पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू के बराबर होंगे।

आजाद भारत में अब तक पंडित जवाहर लाल नेहरू ही लगातार तीन बार पीएम चुने जा चुके हैं। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी यदि इस बार फिर जीतकर प्रधानमंत्री बनते हैं तो वह उनके रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे। वहीं भाजपा के एजेंडे की बात करें तो उसकी स्थापना के दौर से ही तीन मुद्दे उसके साथ रहे हैं। राम मंदिर निर्माण, आर्टिकल 370 हटाना और समान नागरिक संहिता। राम मंदिर निर्माण चल रहा है और 22 जनवरी को राम लला विराजमान होंगे। वहीं आर्टिकल 370 को 2019 में ही हटा दिया गया था। इस तरह से भाजपा ने अपने कोर एजेंडे में शामिल रहे तीन में से दो मुद्दे हल कर लिए हैं।

समान नागरिक संहिता की अब आएगी बारी?
अब समान नागरिक संहिता पर भाजपा की नजर है। उत्तराखंड में इस पर काम आगे भी बढ़ा है। अब देश भर में समान नागरिक संहिता की ओर भाजपा कदम बढ़ा सकती है। राम मंदिर और आर्टिकल 370 वाले वादे पूरे होने के बाद भाजपा के लिए काडर का उत्साह बनाए रखने के लिए जरूरी है कि कोई नया मसला आए। ऐसे में समान नागरिक संहिता उसका पुराना मसला है, जिसे आगे बढ़ाकर वह कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर सकती है। इसके अलावा भाजपा इस बार दक्षिण भारत में भी खुद को मजबूत करना चाहेगी। इसके सबसे बड़ा मौका लोकसभा चुनाव ही होगा।

दक्षिण भारत में पैठ बनाना भी होगा भाजपा का टारगेट
लोकसभा चुनाव के नजरिए से तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल अहम राज्य हैं। इनमें से केरल और तमिलनाडु में तो भाजपा काफी कमजोर रही है। ऐसे में वह चाहेगी कि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में उसकी परफॉर्मेंस अच्छी रहे। इन राज्यों में उसका प्रदर्शन भाजपा को यह मौका देगा कि वह खुद को पैन इंडिया पार्टी बताने का दावा कर सके। गौरतलब है कि इन राज्यों के अलावा ओडिशा, बंगाल जैसे पूर्वी राज्यों में भी भाजपा कभी अपनी सरकार नहीं बना सकी। यही नहीं वह यहां किसी सरकार का हिस्सा भी नहीं रही है।

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