कांग्रेस के काले नागों ने बेच दिया ईमान…CM सुक्खू का बागी विधायकों पर बड़ा हमला

नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में चल सरकार सियासी घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Chief Minister Sukhwinder Singh Sukhu) ने शुक्रवार को सोलन जिले की जनता को 88 करोड़ की परियोजनाओं की सौगात दी. धर्मपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम सुक्खू ने हिमाचल राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग (Cross voting in Rajya Sabha elections) करने वालों 6 कांग्रेस विधायकों को आड़े हाथ लिया और उन्हें काला नाग तक बता डाला. जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम भावुक भी नजर आए.

मुख्यमंत्री सुक्खू ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ लोगों ने षडयंत्र के तहत सरकार गिराने की कोशिश की है, लेकिन मैं उनसे डरता नहीं हूं. जो विधायक अपना ईमान बेच दे वो विधानसभा क्षेत्र के लोगों का क्या भला करेगा. भारतीय जनता पार्टी के नेता और जो कांग्रेस के काले नाग थे, उन्होंने अपने ईमान को बेच दिया. 28 तारीख (फरवरी) को बजट पास होना था, 27 तारीख स्पीकर के पास जाकर उन्हें धमकाया गया.

कांग्रेस के बागी विधायकों पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन 6 काले नागों ने गद्दारी की, वो सड़क रास्ते से नहीं आए. सीआरपीएफ और हरियाणा पुलिस उन्हें मिली, हेलीकॉप्टर उन्हें मिले. वे हेलीकॉप्टर से आए और बजट में अंदर नहीं बैठे, कांग्रेस के पक्ष में नहीं बैठे. उस बजट में गरीबों के लिए योजनाएं थीं. मैं राजनीतिक षड्यंत्रों का शिकार नहीं होना चाहता.

हिमाचल मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस कांग्रेस की विचारधारा और हाथ के निशान से ये लोग चुनकर आए, इन्होंने उसी पार्टी को धोखा दिया. अगर इतनी हिम्मत थी तो आजाद चुनाव लड़ना चाहिए था. इन्होंने पार्टी और निशान से गद्दारी की है. जो व्यक्ति अपना ईमान बेच सकता है, बिकाऊ हो जाए, सत्ता और पैसों के लालच में ईमान बेच सकता है, वो लोगों की क्या सेवा करेगा. ये लोग गरीब आदमी का शोषण करके पैसे के दम पर राजनीति में आते हैं, विधायक बनते हैं और फिर शोषण करते हैं.

बता दें कि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार है कि विधायकों को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया है, जिसका उद्देश्य दलबदल पर अंकुश लगाना है. एक संवाददाता सम्मेलन में 6 बागी विधायकों की अयोग्यता की घोषणा करते हुए हिमाचल स्पीकर ने कहा था कि वे दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता के पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने व्हिप का उल्लंघन किया. अयोग्य ठहराए गए विधायकों में राजिंदर राणा, सुधीर शर्मा, इंदर दत्त लखनपाल, देविंदर कुमार भुट्टू, रवि ठाकुर और चेतन्य शर्मा हैं. बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद सदन में विधायकों की संख्या 68 से घटकर 62 हो गई है, जबकि कांग्रेस के विधायकों की संख्या 40 से घटकर 34 हो गई है.

हिमाचल प्रदेश की सरकार का ये संकट बुधवार को शुरू हुआ था, जबकि इसकी नींव मंगलवार को तब पड़ गई थी, जब हिमाचल की एक सीट पर राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. इस हार के बड़े चर्चे इसलिए हुए, क्योंकि कांग्रेस यहां बहुमत में है, जबकि बीजेपी के सिर्फ 25 विधायक ही थे. कांग्रेस के 6 विधायकों ने बगावत कर दी. इस तरह कांग्रेस के 6 और तीन निर्दलीयों विधायकों ने चुनाव से ऐन पहले खेमा बदल लिया और बीजेपी के लिए क्रॉस वोटिंग कर दी. इसके चलते बीजेपी के उम्मीदवार जीत गए और कांग्रेस हार गई. इसके बाद से ही सुक्खू सरकार पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. इसके बाद से कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुटी है.

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