भैया रिस्पॉन्स तो अच्छा मिल रहा… जीत भी पक्की है…

  • गली-मोहल्लों से लेकर चाय-पान के टपरों तक हार-जीत का हो रहा पोस्टमार्टम

जबलपुर। नगर निगम चुनाव के लिए अब 3 दिन शेष रह गए हैं, जिसके चलते महापौर पद के प्रत्याशियों के अलावा दूसरे राजनीतिक दलों और निर्दलीय था बागी के रूप में चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे प्रत्याशियों का सघन जनसंपर्क अभियान सुबह से लेकर देर रात तक जारी रहता है। दिन में जहां ढोल धमाकों के साथ बालों में भ्रमण का क्रम जारी है वहीं दूसरी तरफ प्रत्याशी और समर्थक देर रात तक व्यक्तिगत रूप से वार्ड के प्रभावशाली लोगों के घर-घर जाकर उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए सक्रिय हैं। कांग्रेस भाजपा के अलावा आम आदमी पार्टी, बसपा, शिवसेना के उम्मीदवारों के अलावा हर वार्ड में बड़ी संख्या में निर्दलीय बागी प्रत्याशी भी जोर शोर से प्रचार में लगे है। वार्ड में रैलियां निकाली जा रही है। नुक्कड़ सभाएं की जा रही और वह सारे जतन किए जा रहे हैं जिनसे जीत की संभावनाएं बढ़ती हैं। एक तरफ जहां प्रत्याशी और उनके समर्थक सतत प्रचार अभियान में जुटे है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस-भाजपा के निर्वाचित जनप्रतिनिधि सांसद विधायक और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी भी प्रत्याशियों के समर्थन में गली मोहल्लों में उम्मीदवारों के लिए वोट और आशीर्वाद मांगने मतदाताओं से रूबरू हो रहे हैं। यदि प्रत्याशियों की बात की जाए तो फिलहाल तो सभी प्रत्याशी अपनी जीत को सुनिश्चित बता रहे हैं।

इन प्रत्याशियों का कहना है कि भैया रिस्पॉन्स तो अच्छा मिल रहा है। वहीं वार्ड की जनता का समर्थन और आशीर्वाद भी उनके साथ है, ऐसे में उनकी जीत पक्की है। अब देखना यह है कि हर प्रत्याशी को अपने घर आने पर उसे अपना समर्थन देने का वादा करने वाला मतदाता वोट में परिवर्तित होता है कि नहीं या फिर वह सुन सबकी रहा है लेकिन मतदान वाले दिन वह वोट किसे देता है चुनाव परिणाम मतदाता की इच्छा के अनुरूप ही सामने आएंगे और जीत का सेहरा किसके सिर पर सजेगा यह तो मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों और रणनीतिकार भी अपने अपने तरीके से चुनाव और परिणामों को लेकर अपने तरीके से आकलन कर रहे हैं। लेकिन यदि शहर की बात की जाए तो इस समय सारा शहर चुनावी रंग में रंगा नजर आ रहा है। चाय पान की दुकानों से लेकर गली-मोहल्लों में भी चुनावी चर्चाओं का बाजार सरकार मय है। जहां जीत हार को लेकर चर्चा शुरू हो जाती है और लोग अपने अपने तरीके से प्रत्याशियों की जीत हार का पोस्टमार्टम करने में लग जाते हैं।

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