पिछले चार महीनों में जनवरी में सबसे ज्यादा बढ़ा कारोबार, PMI का आंकड़ा 61 पर पहुंचा

नई दिल्ली। मजबूत मांग के कारण जनवरी में भारत की व्यावसायिक गतिविधि चार महीनों में सबसे तेज गति से बढ़ी। एक निजी सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है। सर्वेक्षण में अगस्त के बाद से सबसे तेज दर से इनपुट लागत बढ़ने का भी पता चला है।

सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कम से कम निकट अवधि में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 6.9% रहेगी। बुधवार को रॉयटर्स पोल में इस बारे में जानकारी दी गई। एसएंडपी ग्लोबल की ओर से संकलित एचएसबीसी का फ्लैश इंडिया कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स जनवरी महीने में बढ़कर 61.0 हो गया, यह सितंबर के बाद से इसका उच्चतम स्तर है।

यह सूचकांक 50 अंक से ऊपर रहा। लगातार 30 वें महीने में इसमें विस्तार देखा गया। एचएसबीसी के चीफ इंडिया इकनॉमिस्ट प्रांजल भंडारी ने कहा, “मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट में मजबूती के साथ-साथ बिजनेस सर्विसेज एक्टिविटी की मदद से जनवरी में इकोनॉमी तेज रफ्तार से बढ़ी। नए ऑर्डर एक महीने पहले की तुलना में तेज गति से बढ़े, और उसके भीतर, अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर पहले की तुलना में मजबूत रहे।”

जनवरी में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई बढ़कर 56.9 हो गया, जो पिछले महीने 54.9 था। प्रमुख सेवा उद्योग में गतिविधि भी तेज दर से बढ़ी और इसका पीएमआई दिसंबर में 59.0 से बढ़कर इस महीने 61.2 हो गया। यह मुख्य रूप से मांग में मजबूत विस्तार के कारण है।

फैक्ट्री के नए ऑर्डर चार महीनों में सबसे तेज गति से बढ़े जबकि सेवा क्षेत्र में नए व्यवसाय में जुलाई 2023 के बाद से सबसे तेज दर से वृद्धि हुई। मांग में सुधार से आने वाले 12 महीनों के लिए फर्मों की उम्मीदों को बढ़ावा मिला, विशेष रूप से विनिर्माण में क्योंकि भविष्य का उत्पादन नौ वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।

कंपनियों ने लगातार 20वें महीने नियुक्तियां जारी रखीं, लेकिन सेवा उद्योग में उच्च रोजगार सृजन हुआ। हालांकि जनवरी में समग्र आउटपुट की कीमतें धीमी दर से बढ़ीं, लेकिन अगस्त 2023 के बाद से इनपुट लागत सबसे तेज गति से बढ़ी, यह दर्शाता है कि मूल्य दबाव ऊंचा रह सकता है। दिसंबर में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति चार महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई, और रॉयटर्स पोल ने सुझाव दिया है कि भारतीय रिजर्व बैंक कम से कम जुलाई तक ब्याज दरों को अपने वर्तमान स्तर पर बनाए रखेगा।

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