इलेक्टोरल बॉन्ड को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नही देंगी केंद्र सरकार, PIL का विकल्प खुला

नई दिल्‍ली (New Dehli)। इलेक्टोरल बॉन्ड (electoral bond)खरीदने वालों के नाम जारी करना सरकार (Government)द्वारा किया गया वादे का उल्लंघन (Violation)होगा। साथ ही यह बैंक गोपनीयता मानदंडों(privacy standards) का उल्लंघन होगा। इसके बावजूद केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बीते गुरुवार को सुनाए गए ऐतिहासिक फैसले को चुनौती नहीं देने के मूड में है। आपको बता दें कि कोर्ट ने सरकार की इस योजना को असंवैधानिक करार दिया है।

सूत्रों की माने तो सरकार चुनावी फंडिंग प्रणाली को बेहतर बनाने के वैकल्पिक तरीकों पर विचार कर सकती है। सूत्रों ने कहा कि 17वीं लोकसभा के 15वें सत्र का पहले ही सत्रावसान हो चुका है और चुनाव की अधिसूचना मुश्किल से कुछ सप्ताह दूर है। ऐसे में सरकार न तो समीक्षा याचिका दायर करने पर विचार कर रही है और न ही नई फंडिंग प्रणाली स्थापित करने के लिए अध्यादेश जारी करने पर विचार कर रही है। हालांकि, आम आदमी के लिए पीआईएल (जनहित याचिका) दायर करने का विकल्प खुला हुआ है।

गुरुवार को बीजेपी ने कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने के लिए शुरू की गई थी। यह योजना चुनावी खर्च में काले धन से छुटकारा पाने के लिए शुरू की गई थी। सूत्र ने कहा, “2017 तक इसके जरिए नकदी का खेल होता था।”सूत्र ने कहा, “हम व्यवस्था में सुधार करना चाहते थे, लेकिन हम उद्योगों को स्थानीय सरकारों द्वारा इस आधार पर परेशान नहीं होने दे सकते थे कि वे किसे दान दे रहे हैं।”

सरकार में एक राय है कि मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ द्वारा दिया गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला कोई रास्ता नहीं सुझा सका। उन्होंने कहा, ”जिन पार्टियों और नेताओं के पास काला धन है वे अब इसे खर्च कर सकते हैं। हम पुरानी अच्छी नकद भुगतान प्रणाली पर वापस लौटेंगे।”

अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि बैंक इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करना बंद कर देगा। साथ ही भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से 12 अप्रैल, 2019 अदालत के अंतरिम आदेश के बाद से लेकर आज तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड का विवरण चुनाव आयोग के समक्ष जमा करने को कहा है।

गौरतलब है कि एसबीआई के पास इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले सभी लोगों के नाम, आधार और पैन कार्ड विवरण हैं। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा कि इस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी कि क्या बैंक से प्राप्त विवरण का चुनाव आयोग खुलासा करेगा या नहीं।

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