सीएम अरविंद केजरीवाल ने कोर्ट में दी दलील, कहा-मुझ पर नहीं चला सकते मुकदमा

नई दिल्‍ली (New Delhi)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की डिग्री से जुड़े विवाद में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) और राज्यसभा सांसद संजय सिंह (Sanjay singh) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अहमदाबाद की एक अदालत ने बुधवार को ‘आप’ नेताओं की उन अर्जियों को खारिज कर दिया, जिनमें उन्होंने मानहानि केस की सुनवाई फरवरी 2024 तक टालने की मांग की थी। अरविंद केजरीवाल की ओर से मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसजे पांचाल के सामने यह भी दलील दी गई कि लोकसेवक होने की वजह से बिना मंजूरी उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। कोर्ट गुरुवार को इस पर फैसला दे सकता है।

बता दें कि अदालत ने केजरीवाल की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें कहा गया था कि सीआरपीसी की धारा 197 के तहत मंजूरी के बिना उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता क्योंकि वह लोक सेवक हैं। अरविंद केजरीवाल ने यह दलील गुजरात यूनिवर्सिटी की ओर से दायर मानहानि मुकदमे में दी। केजरीवाल और संजय सिंह पर आरोप है कि उन्होंने यूनिवर्सिटी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कीं।

सुनवाई टालने की गुजारिश खारिज
केजरीवाल और संजय सिंह ने इस आधार पर सुनवाई को टालने की मांग करते हुए अर्जियां दायर की हैं कि समन को चुनौती देने वाली उनकी याचिकाएं गुजरात हाई कोर्ट के सामने लंबित हैं और अगले साल फरवरी में सुनवाई की संभावना है। स्थगन अर्जियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए गुजरात विश्वविद्यालय के वकील अमित नायर ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मुकदमे पर कोई रोक नहीं लगाई है और मामले में जिन गवाहों से पूछताछ की जानी है वे अदालत में मौजूद हैं।

केजरीवाल की दलील पर क्या कहा गुजरात यूनिवर्सिटी ने
नायर ने इस मामले में केजरीवाल की उस दलील को भी चुनौती दी कि चूंकि वह लोक सेवक हैं, इसलिए सीआरपीसी की धारा 197 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी ली जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल आधिकारिक कार्य के निर्वहन की श्रेणी में नहीं आता है, इसलिए वर्तमान मामले में ऐसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि यह अर्जी मामले को लटकाने की एक रणनीति है। अदालत ने बृहस्पतिवार तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

हाई कोर्ट ने कहा था- प्रथम दृष्टया बनता है केस
अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह ने सत्र अदालत में उनकी पुनरीक्षण याचिका के निपटारे तक उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था। अदालत ने यह कहते हुए दोनों नेताओं को तलब किया था कि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500 (मानहानि) के तहत मामला बनता प्रतीत होता है। उच्च न्यायालय द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री पर मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश को रद्द करने के बाद जीयू के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल ने दोनों नेताओं के खिलाफ उनकी टिप्पणियों पर मानहानि का मामला दायर किया था।

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