हिमाचल में अभिषेक मनु सिंघवी के खिलाफ कांग्रेस विधायकों ने की क्रॉस वोटिंग, जानिए क्‍या थी वजह ?

नई दिल्‍ली (New Delhi) । हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha elections) में वही हुआ, जिसका डर था यानी क्रॉस वोटिंग (cross voting). इसका सीधे-सीधे फायदा हुआ बीजेपी (BJP) को. ऐसे में पर्याप्त वोट होने के बावजूद कांग्रेस (Congress) हार गई. कांग्रेस के ही 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी के उम्मीदवार को जितवा दिया.

दरअसल 68 सीटों वाली हिमाचल विधानसभा में राज्यसभा का चुनाव जीतने के लिए 35 वोटों की जरूरत थी. कांग्रेस के पास 40 विधायक थे और बीजेपी के पास 25. लेकिन कांग्रेस के 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी. यानी बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट दे दिया. इनके साथ ही दो निर्दलीय समेत तीन विधायकों ने भी बीजेपी को वोट दिया.

इस तरह से बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन को 34 वोट मिले. कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को भी 34 वोट ही मिले. टाई होने के बाद पर्ची निकालकर फैसला किया गया, जिसमें बीजेपी के हर्ष महाजन की जीत हुई.

राज्यसभा चुनाव में जिस तरह से क्रॉस वोटिंग हुई, उससे अब हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर भी खतरा खड़ा हो गया. बताया जा रहा है कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार में पहले से ही हलचल थी और अभिषेक मनु सिंघवी की उम्मीदवारी ने इसे और बढ़ा दिया.

क्रॉस वोटिंग की वजह सिंघवी!
बताया जा रहा है कि अभिषेक मनु सिंघवी की उम्मीदवारी से कांग्रेस के कई नेता भी खुश नहीं थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा इससे अच्छे-खासे नाराज हुए. आनंद शर्मा राज्यसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें खड़ा नहीं किया. सिंघवी को हिमाचल में ‘आउटसाइडर’ करार दिया और उन्हें कांग्रेस के भीतर भी विरोध का सामना करना पड़ा.

सिंघवी ने खुद ये स्वीकार किया कि ये कांग्रेस बनाम बीजेपी नहीं, बल्कि कांग्रेस बनाम कांग्रेस की लड़ाई है. चुनावी नतीजे आने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिंघवी ने कहा कि जिन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की, कल तक उन्होंने साथ बैठकर नाश्ता किया था.

दिलचस्प बात ये है कि जिन 6 कांग्रेस विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की, वो दिवंगत नेता वीरभद्र सिंह खेमे से जुड़े थे. हर्ष महाजन भी उसी खेमे के थे और 2022 में बीजेपी में आने से पहले वो उनके लिए बतौर रणनीतिकार काम करते थे.

हिमाचल में अब आगे क्या?
हिमाचल प्रदेश में अब दो स्थिति बनती दिख रही है. पहली स्थिति जो अभी है. यानी कांग्रेस सत्ता में बनी रहेगी. दूसरी स्थिति यानी कांग्रेस की सरकार जाएगी और बीजेपी की आएगी.

मौजूदा समय में अभी कांग्रेस के पास 40 विधायक हैं, लेकिन उसके 6 विधायकों ने बीजेपी के लिए क्रॉस वोटिंग कर अपनी मंशा जाहिर कर दी है. तीन निर्दलीय विधायक भी बीजेपी के साथ हैं. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही के पास 34-34 विधायकों का समर्थन है.

68 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 35 है. क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक अभी भी कांग्रेस में ही हैं और एक तरीके से विधानसभा में कांग्रेस अब भी बहुमत में है. लेकिन अगर ये 6 विधायक पाला बदलते हैं, तो इनकी सदस्यता चली जाएगी. ऐसे में विधानसभा में सदस्यों की संख्या 62 हो जाएगी. उसके बाद भी कांग्रेस के पास 34 विधायक होंगे ही.

ऐसे में अगर बीजेपी फ्लोर टेस्ट की मांग करती है, तो हो सकता है कि राज्यसभा चुनाव जैसी ही स्थिति बने और सुक्खू सरकार को इसका नुकसान उठाना पड़े. बहरहाल, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बागी विधायकों की वापसी की बात कह रहे हैं. लेकिन इन बागियों की नाराजगी खत्म होती है या नहीं, ये कुछ दिनों में ही साफ हो जाएगा.

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