साल 2024 से नए नियम से फुटवियर वाले छोटे मध्यम सूक्ष्म उद्योगों पर संकट 

  • बीआईएस मापदंड जरूरी होने से फुटवियर उद्योग बंद होने की कगार पर आ जॉएंगे।
  • संसद से गुहार लगाने पहुंचे फुटवीयरउद्योग संचालक

इंदौर। जनवरी 2024 से फुटवियर से जुड़े सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों पर बीआईएस नियमों को अनिवार्य किया जा रहा है। इससे छोटे उद्योगों का भविष्य खतरे में पड़ता नजर आ रहा है। बीआईएस के नियमों के लागू होने से न सिर्फ पूंजी निवेश बढ़ाना होगा बल्कि फिर, जगह भी अधिक लगेगी जो वर्तमान स्थिति में छोटे उद्योगों के लिए असंभव है।

विषय की गंभीरता को देखते हुए आज मध्य्प्रदेश इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश मेहता के नेतृत्व में एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने फुटवियर से जुडे उद्योगपतियों के साथ इंदौर के सांसद माननीय शंकर लालवानी से भेट की और उन्हें फुटवियर उद्योगों से जुड़ी परेशानीया व समस्याएं साझा की। सांसद ने उद्योगपतियों को भरोसा दिलाया कि मै इस मुद्दे को केन्द्र सरकार के सामने रखुंगा साथ ही इस समस्या का समाधान निकालने के लिये केन्द्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पीयुष गोयल से मुलाकात कराउंगा।

सांसद ने कहा कि यह राष्ट्रीयस्तर का मुद्दा है जिसमें समस्त फुटवियर निर्माताओं पर इसका असर पडेगा। अध्यक्ष मेहता ने कहा कि एसोसिएशन भी अपने स्तर पर अन्य राज्यों के फुटवियर निर्माताओं के साथ समन्वय बनाकर एकजुटता से इस मामले को केन्द्र सरकार के सामने पूरी ताकत के साथ रखेगी जिससे लघु श्रेणी फुटवियर उद्योग जीवित रह सके ।

फुटवियर निर्माता गिरिश पंजाबी एवं अमित संचेती ने बताया कि बीआईएस नियमों के लागू होने पर लघु श्रेणी उद्योग की इनपुट कॉस्ट बहुत अधिक बढ़ जायेगी जिसके कारण इकाईयां अव्यवहार्य हो जाएगी। गरीबों तबको के लिए रोजमर्रा के पहनावे के फुटवियर आज सस्ते मिलते है लेकिन बीआईएस नियमों के लागू होते ही रॉ मटेरियल की लागत बढ़ जायेगी और लागत बढ़ने से कई इकाईयों का कामकाज असंभव होने से वे बंद हो जायेगी और गरीबों के सस्ते फुटवियर बाजार से गुम हो जायेगें। उद्योगों के बंद होने का सीधा परिणाम रोजगार पर होगा।

सासंद से समस्या बताने वालों में प्रकाश जैन, श्री तरूण व्यास, प्रमोद डफरिया, गिरिश पंजाबी, अमित संचेती सहित कई फुटवियर निर्माता उपस्थित थे।

क्या है बीआईएस

बीआईएस का फुल फार्म ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड है जो कि भारत का राष्ट्रीय मानक संगठन है। इसे 12 अक्टूबर 2017 को ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड अधिनियम, 2016 में लागू किया गया था। यह राष्ट्रीय मानक नियम लागू होने के बाद प्रोड्क्शन में इस्तेमाल होने रामटेरियल और प्रोडक्ट की उत्तम क्वालिटी के अलावा जंहा प्रोडक्शन अथवा निर्माण कार्य होता है वँहा के लिए भी बीआईएस मापदंड तय करती है।

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