राजगढ़ से पहली बार संसद पहुंचे थे दिग्विजय, कांग्रेस ने फिर वहीं से बनाया उम्मीदवार

नई दिल्ली (New Delhi)। आगामी लोकसभा चुनाव (Upcoming Lok Sabha elections) के लिए कांग्रेस (Congress) ने शनिवार (24 मार्च) को अपने उम्मीदवारों (Candidates) की एक लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह (Rajya Sabha member Digvijay Singh) का भी नाम शामिल है. दिग्विजिय सिंह को उनके क्षेत्र राजगढ़ से मौका दिया गया है।

दिग्विजय सिंह ने पार्टी की तरफ से टिकट को लेकर आधिकारिक घोषणा से कुछ घंटे पहले अपनी उम्मीदवारी की पुष्टि की थी. दरअसल, उन्होंने कांग्रेस को उनके गढ़ से मैदान में उतरने को कहा था।

‘मैं किसी के भी खिलाफ लड़ने को तैयार’
राजगढ़ में पत्रकारों से बात करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं, लेकिन पार्टी ने मुझे यहां (राजगढ़) से चुनाव लड़ने के लिए कहा है, इसलिए मैं यहां से लड़ूंगा।

राजगढ़ का चुनावी इतिहास
राजगढ़ के पूर्व शाही परिवार से आने वाले दिग्विजय सिंह का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार और दो बार के मौजूदा सांसद रोडमल नागर से होगा. कांग्रेस के सीनियर नेता और प्रदेश के सीएम रह चुके दिग्विजय सिंह 1984 में पहली बार राजगढ़ से सांसद बने थे।

हालांकि, वह 1989 में भाजपा के प्यारेलाल खंडेलवाल से हार गए थे, लेकिन 1991 में दिग्विजय सिंह ने इस सीट से जीत दर्ज की थी. 1993 के लोकसभा चुनावों में दिग्विजय सिंह यह सीट छोड़कर चले गए. यहां से सीट छोड़ने के कुछ समय बाद दिग्विजय सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए. दिग्विजिय सिंह केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।

दिग्विजय सिंह के भाई भी रह चुके हैं सांसद
दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने 1994 के उपचुनाव में राजगढ़ से जीत हासिल की और 2009 तक इस पर बने रहे, हालांकि 2003 में वह भाजपा में शामिल हो गए और 2004 में इसके टिकट पर सीट जीती. 2009 में लक्ष्मण सिंह कांग्रेस प्रत्याशी नारायण सिंह आमलाबे से हार गए।

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