सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता जा रहा है निगम का ड्रेनेज महाघोटाला

जब्त हुई नई असल फाइलों से अब कोर्ट में पुलिस को फर्जीवाड़ा साबित करना होगा आसान

इंदौर। अग्रिबाण (Agniban) ने कल ही यह खुलासा किया था कि नगर निगम (corporation) का जो ड्रैनेज घोटाला (Drainage scam) अभी उजागर हुआ है वह मात्र 28 करोड़ तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि बढक़र 150 करोड़ तक जा सकती है। उसकी पुष्टि 24 ही घंटे में होने लगी, क्योंकि पुलिस ने 21 करोड़ रुपए का नया घोटाला (scam) और इसमें पकड़ लिया है और मजे की बात यह है कि ये घोटाला भी उन्हीं पांच ठेकेदार फर्मों द्वारा अंजाम दिया गया और मिलीभगत से भुगतान भी हासिल कर लिया। इतना ही नहीं, सरकारी खजाने में आयकर, रॉयल्टी (royalty) से लेकर जीएसटी (GST) की राशि भी जमा कराई। हालांकि निगम खुद टैक्स की यह सरकारी राशि काटकर ही भुगतान करता है। पुलिस को जो नई असल फाइलें मिली हैं उससे अब पुराने 28 करोड़ के घोटाले को भी कोर्ट में साबित करना आसान होगा, क्योंकि उसकी असल फाइलें चोरी हो चुकी है, जिसकी निगम ने एमजी रोड थाने पर ही एफआईआर दर्ज करवा रखी है।

सुरसा के मुंह की तरह निगम का यह ड्रैनेज महाघोटाला बढ़ता जा रहा है, जिसमें आने वाले दिनों में भी कई नए चौंकाने वाले खुलासे होंगे। अभी तक की जांच से यह तो स्पष्ट हो गया कि निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना ठेकेदार फर्म अपने बलबूते इस घोटाले को अंजाम नहीं दे पाती। यही कारण है कि कल इस मामले से जुड़े दो छोटे कर्मचारियों को हटाया भी गया, जो कि लेखा शाखा में पदस्थ थे। इसमें सुनील भंवर और भूपेन्द्र पुरोहित, ये दोनों विनियमितकर्मी हैं, जो लेखा शाखा में पदस्थ रहे। उन्हें अब ट्रेंचिंग ग्राउंड भेजा गया है। निगम का कहना है कि 28 करोड़ के घोटालों की जो फाइल चोरी हुई उसकी जानकारी इन कर्मचारियों ने संभवत: दी होगी। उल्लेखनीय है कि निगम इंजीनियर सुनील गुप्ता की कार की डिक्की से घोटालों की असल फाइल चोरी हो गई, जिसकी रिपोर्ट दर्ज कराई गई और जो बिल भुगतान के लिए आए उसके और फोटो कॉपी के आधार पर पुलिसिया जांच चल रही है। एमजी रोड थाने के टीआई विजयसिंह सिसोदिया का कहना है कि कल जो एक दर्जन से अधिक नई फाइलें जब्त हुई हैं उसमें भी 20-21 करोड़ रुपए का भुगतान इन्हीं पांच फर्मों को करना पाया गया, जिनके खिलाफ निगम ने एफआईआर दर्ज करवाई है। श्री सिसोदिया के मुताबिक 21 करोड़ रुपए का यह भुगतान किया गया, जबकि पूर्व में जो 28 करोड़ के घोटाले की जो रिपोर्ट हुई है उसमें भी लगभग 4 करोड़ रुपए का भुगतान निगम से करना पाया गया है। कोर्ट के जरिए सभी 5 आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी कर दिए हैं, जिनमें से एक आरोपी को पिछले दिनों कोर्ट से जमानत नहीं मिली थी। अब आज हाईकोर्ट में भी सुनवाई है। मगर चूंकि इस मामले में अब पुलिस को नए तथ्य और 21 करोड़ के भुगतान से जुड़ी असल फाइलें मिल गई हैं तो उसके जरिए जहां जमानत तो आरोपियों को फिलहाल मिल नहीं पाएगी, वहीं पुलिस को भी 28 करोड़ के घोटाले को भी कोर्ट में प्रमाणित करना आसान रहेगा। दरअसल, बिना असल फाइल के सिर्फ फोटो कॉपी के जरिए कोर्ट में संदेह का लाभ आरोपियों को मिल जाता और कोर्ट भी फोटो कॉपी वाले दस्तावेजों को मान्य नहीं करता है। मगर अब चूंकि पुलिस ने एक दर्जन से अधिक असल फाइलें भी जब्त कर ली हैं और ये सारी फाइलें इन 5 ठेकेदार फर्मों की ही हैं। लिहाजा अब 28 करोड़ की शुरुआती एफआईआर में भी पुलिस को आरोपियों को सजा दिलवाने में आसानी रहेगी। टीआई श्री सिसोदिया के मुताबिक इन पांचों आरोपियों से जुड़ी सम्पत्तियों की जानकारी भी निकलवाई जा रही है, जिसमें अग्रिबाण ने जाह्नव इंटरप्राइजेस और क्षीतिज इंटरप्राइजेस के राहुल-रेणु वडेरा के करोड़ों रुपए के बंगले का जो खुलासा किया उससे बड़ी मदद मिलेगी। वहीं उसके एक फ्लेट का भी पता लगा है। उसकी डिटेल निकलवाई जा रही है। वहीं एक अन्य आरोपी मो. साजिद की भी 148 मदीना नगर स्थित सम्पत्ति का पता चला है। अभी जो पुलिस ने नई फाइलें जब्त की उनमें भी 2018-20 में काम करना और 21-22 में उनकी फाइलें तैयार कर भुगतान के लिए लगाना पाया गया है।

Leave a Comment