मौद्रिक नीति समिति के फैसले से पहले खाद्य महंगाई की चिंता, जाने एफडी पर क्‍या पड़ेगा असर?

नई दिल्‍ली (New Delhi) । आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (monetary policy committee) शुक्रवार यानी आज अपने फैसले की घोषणा करेगी। इससे पहले आए एक सर्वे में कहा गया है, कि सरकार और आरबीआई के लिए महंगाई (inflation) अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। अर्थशास्त्रियों ने अनुमान जताया है कि खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों के कारण नवंबर में खुदरा महंगाई में उछाल देखने को मिल सकता है और यह आरबीआई के तय दायरे से ऊपर निकल सकती है। इससे पहले बीते माह में इसमें गिरावट देखने को मिली थी।

इस सर्वेक्षण में 41 अर्थशास्त्रियों की राय को शामिल किया गया है। इनका अनुमान है कि खुदरा महंगाई नवंबर में बढ़कर 5.70 फीसदी तक पहुंच सकती है, जो अक्तूबर में 4.87% से अधिक है। हालांकि पूर्वानुमान 6.50 फीसदी का था। सर्वे में कहा गया कि त्योहारी सीजन के चलते खाद्य पदार्थों की कीमतें ऊंची रहीं। चावल की कीमतों में उछाल देखने को मिला।

प्याज, टमाटर का असर दिसंबर में भी रहेगा
प्याज और टमाटर की कीमतों में भी इजाफा हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका असर दिसंबर में भी देखने को मिल सकता है। सरकार ने आरबीआई को खुदरा महंगाई दर को दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। केंद्रीय बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है।

क्या एफडी पर मिलेगा 10 फीसदी तक ब्याज
एफडी में निवेश करने वाले लोगों की नजरें आरबीआई के फैसले पर टिकी हुई हैं। यदि आरबीआई रेपो दर में बढ़ोतरी करता है तो एफडी पर मिलने वाला ब्याज सालाना 10 फीसदी तक पहुंच सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अभी इसके आसार बेहद कम हैं।

कुछ स्मॉल फाइनेंस बैंक और वित्तीय संस्थान एफडी पर 9.5 फीसदी तक ब्याज दे रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, देश में छह से आठ फीसदी ब्याज दर वाली एफजी की हिस्सेदारी मार्च 2022 के 12.5 फीसदी के मुकाबले सितंबर, 2023 में बढ़कर 78.6 फीसदी हो गई। बढ़ती ब्याज दरों के कारण अधिक रिटर्न वाली जमा की ओर लोगों का झुकाव हुआ।

पांचवीं बार रेपो दर में बदलाव के आसार नहीं
विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई यथास्थिति बनाए रख सकता है और रेपो रेट 6.5 फीसदी पर ही स्थिर रहेगी। रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों की वजह से महंगाई बढ़ने के कारण मई 2022 में रेपो दर में बढ़ोतरी का दौर शुरू हुआ था, जो फरवरी 2023 तक चलता रहा। लेकिन अप्रैल 2023 की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा से रेपो दर स्थिर बनी हुई है।

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