विदेशी मुद्रा भंडार में फिर गिरावट, अब खजाने में बचे 616.14 बिलियन डॉलर

नई दिल्ली (New Delhi)। एक सप्ताह की राहत के बाद भारत (India) के विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) में एक बार फिर से गिरावट (Declines again) दर्ज की गई है. रिजर्व बैंक (reserve Bank) के द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए ताजे आंकड़ों के अनुसार, अब भारत का विदेशी मुद्रा भंडार ((foreign exchange reserves)) कम होकर 616.14 बिलियन डॉलर (Decreased to $616.14 billion) पर आ गया है।

पिछले सप्ताह इतना कम हुआ भंडार
रिजर्व बैंक हर सप्ताह के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार के ताजे आंकड़े जारी करता है. यह आंकड़ा 19 जनवरी को समाप्त हुए सप्ताह का है. आंकड़ों के अनुसार, बीते सप्ताह के दौरान भंडार में 2.79 बिलियन डॉलर की गिरावट आई. उससे पहले 12 जनवरी को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 1.6 बिलियन डॉलर बढ़कर 618.94 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया था।

सबसे ज्यादा हुआ इस बात का असर
रिजर्व बैंक के वीकली स्टैटिस्टिकल सप्लीमेंट के अनुसार, बीते सप्ताह के दौरान सबसे बड़ी गिरावट फॉरेन करेंसी एसेट में आई है. फॉरेन करेंसी एसेट अब 2.6 बिलियन डॉलर कम होकर 545.8 बिलियन डॉलर रह गई है. फॉरेन करेंसी एसेट पर विभिन्न प्रमुख विदेशी मुद्राओं के भाव में डॉलर के मुकाबले आई घट-बढ़ का भी असर होता है. रिजर्व बैंक यूरो, पाउंड, येन समेत अन्य प्रमुख मुद्राओं के भंडार की गणना डॉलर के टर्म में करता है, जिसके कारण विनिमय दर का इसके ऊपर सीधा असर होता है।

विदेशी मुद्रा भंडार के अन्य कंपोनेंट
विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ा हिस्सा फॉरेन करेंसी एसेट का ही होता है. विदेशी मुद्रा भंडार के अन्य कंपोनेंट को देखें तो गोल्ड रिजर्व में 34 मिलियन डॉलर की गिरावट आई और यह भंडार 47.2 बिलियन डॉलर पर आ गया. इसी तरह स्पेशल ड्राइंग राइट भी बीते सप्ताह के दौरान 476 मिलियन डॉलर कम होकर 18.2 बिलियन डॉलर पर आ गया. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास रखे भंडार में इस दौरान 18 मिलियन डॉलर की कमी आई और यह 4.85 बिलियन डॉलर रह गया।

इन कारणों से भी आती है गिरावट
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक समय 650 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर के बेहद करीब पहुंच गया था. अक्टूबर 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 645 बिलियन डॉलर था, जो सर्वकालिक उच्च स्तर है. विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्राओं की विनिमय दरों के अलावा अन्य फैक्टर्स का भी असर होता है. रिजर्व बैंक कई बार रुपये को संभालने के लिए अपने भंडार से डॉलर निकालकर बाजार में झोंकता है. बीते दिनों रुपये की गिरावट को थामने के लिए रिजर्व बैंक को कई मौकों पर हस्तक्षेप करने की जरूरत पड़ी है।

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