सरकार ने लैपटॉप के आयात पर लाइसेंसिंग नीति में किया बदलाव, नया ऑनलाइन सिस्टम भी बनाया

नई दिल्ली। सरकार ने लैपटॉप और कंप्यूटर के आयात पर प्रतिबंधों में बदलाव करने की घोषणा की। सरकार का कहना है कि नई आयात प्रबंधन प्रणाली का उद्देश्य बाजार की आपूर्ति को नुकसान पहुंचाए बिना और बोझिल लाइसेंसिंग व्यवस्था बनाए बिना देश में लैपटॉप, टैबलेट और कंप्यूटर के शिपमेंट की निगरानी करना है। बता दें कि सरकार ने अगस्त के अपने आदेश में लैपटॉप आयात पर बैन लगाने की बात कही थी।

विदेश व्यापार महानिदेशक ने कहा कि नई लाइसेंसिंग या आयात प्राधिकरण/प्रबंधन प्रणाली, जो तत्काल प्रभाव से लागू होगी, का उद्देश्य मुख्य रूप से इन उत्पादों के आयात की निगरानी करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे विश्वसनीय सोर्स से आ रहे हैं। इसके लिए आयात करने वाली कंपनियों को मात्रा और मूल्य की जानकारी देने के बाद केवल ‘प्राधिकरण’ पर विदेशों से आईटी हार्डवेयर की खेप लाने की अनुमति दी गई है।

बता दें कि विदेश व्यापार महानिदेशालय की ओर से अगस्त में एक अधिसूचना जारी की गई थी जिसमें कहा गया है कि लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर और अल्ट्रा-स्मॉल कंप्यूटर और सर्वर के आयात को 31 अक्तूबर से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। यानी 31 अक्तूबर तक दूसरे देश से भारत में लैपटॉप, कंप्यूटर आदि को मंगाया जा सकता है लेकिन उसके बाद नहीं।

आईटी कंपनियों के लिए राहत की खबर
सरकार की इस घोषणा से भारत में आईटी कंपनियों को राहत मिलने की संभावना है क्योंकि उन्होंने आयातकों के लिए सख्त लाइसेंसिंग व्यवस्था लागू करने पर चिंता जताई थी। बाजार में बिकने वाले प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक ब्रांडों में एचसीएल, सैमसंग, डेल, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स, एसर, एप्पल, लेनोवो और एचपी शामिल हैं।

विदेश व्यापार महानिदेशक ने कहा कि प्राधिकरण की मांग करते समय, एक आयातक को आयात आइटम की जानकारी और पिछले आयात, निर्यात और कारोबार का विवरण प्रदान करना होगा। कुछ शर्तों के अलावा, सरकार किसी भी आयात अनुरोध को अस्वीकार नहीं करेगी और इन सामानों के आने वाले शिपमेंट की निगरानी के लिए डाटा का उपयोग करेगी। सरनागी ने कहा कि क्षेत्र के हितधारकों की चिंताओं को ध्यान में रखने के बाद नीति में कुछ बदलाव किए गए हैं और आयातकों के लिए एक एंड-टू-एंड ऑनलाइन प्रणाली शुरू की गई है।

कैसे काम करेगा इंपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम?
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन ने कहा कि यह इंपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम “हमें उस तरह का डाटा और जानकारी प्रदान करेगी (जिसकी) हमें यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यकता है कि हमारे पास इस देश में पूरी तरह से विश्वसनीय डिजिटल प्रणाली है। उद्योग द्वारा उठाई गई चिंताओं के बाद लाइसेंसिंग व्यवस्था एक नवंबर से लागू होगी। उन्होंने कहा कि नई ऑनलाइन प्रणाली बोझिल लाइसेंस व्यवस्था की तुलना में सरल है।

कृष्णन ने कहा कि आयातकों को कई ऑथराइजेशन के लिए आवेदन करने की अनुमति है और वे ऑथराइजेशन 30 सितंबर, 2024 तक वैध होंगे। अगले साल सितंबर तक आयात के लिए किसी भी संख्या में खेप के लिए ऑथराइजेशन जारी किए जाएंगे। सितंबर 2024 के बाद सरकार डाटा का अध्ययन करेगी, उद्योग के साथ बातचीत करेगी और फिर इसे आगे बढ़ने के तरीकों पर फैसला करेगी। MeiTY सचिव ने कहा कि सरकार का इरादा किसी भी तरह की असुविधा या कठिनाई पैदा करना नहीं है। बल्कि इसका लक्ष्य देश में अधिक से अधिक इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर के मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है।

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