चुनावी साल में राजकोषीय घाटा कम करने पर रह सकता है सरकार का जोर, पूंजीगत व्यय पर जारी रहेगा फोकस

नई दिल्ली। अर्थशास्त्रियों पर रॉयटर्स की ओर से किए गए एक पोल के अनुसार पूंजीगत व्यय को सर्वकालिक उच्च स्तर पर उठाने के बावजूद भारत सरकार 2024-25 वित्तीय वर्ष में कम घाटे का लक्ष्य रखेगी। अर्थशास्त्रियों का यह भी मानना है कि बुनियादी ढांचे में निवेश सरकार की प्राथमिकता बनी रहेगी। चुनावी वर्ष में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के तीसरे कार्यकाल के कयास लगाए जा रहे हैं अंतरिम बजट से लोकलुभावन उपायों और राजकोषीय विवेक के बीच संतुलन बनाने की उम्मीद की जा रही है।

सरकार 2025-26 वित्तीय वर्ष (FY) के अंत तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.50% तक सीमित करने का लक्ष्य लेकर चल रही है, जो चालू वर्ष में मार्च 2024 के अंत तक 5.90% है। 41 अर्थशास्त्रियों पर 10 से 19 जनवरी के बीच हुए पोल से पता चला है कि 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में 2024-25 में जीडीपी के प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटे को 5.30% तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है। सर्वे के अनुसार 2025-26 में 4.5 फीसदी के घाटे के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कुल व्यय में औसतन प्रति वित्त वर्ष सात फीसदी से अधिक की वृद्धि की जरूरत नहीं होगी।

ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के प्रमुख अर्थशास्त्री ने कहा, “आने वाले वर्षों में व्यय में और भी आक्रामक कटौती की संभावना है।” पूंजीगत खर्च पहले ही इस वित्तीय वर्ष में 33% से अधिक बढ़कर 10 ट्रिलियन रुपये ($ 120 बिलियन) हो गया है और निजी निवेश में वृद्धि की उम्मीद के साथ अगले वित्तीय वर्ष में इसके 15% बढ़कर 11.50 ट्रिलियन रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।

लगभग सभी अर्थशास्त्रियों (34) ने कहा कि बुनियादी ढांचा निवेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी, इसके बाद ग्रामीण विकास पर 17 और रोजगार सृजन को 16 अर्थशास्त्रियों ने सर्वोच्च प्राथिमकता का क्षेत्र बताया। घाटे पर ध्यान केंद्रित करने के साथ कल्याणकारी योजनाओं में और अधिक इजाफे की उम्मीद कम है इसके 15.60 ट्रिलियन रुपये की सकल उधारी चालू वित्तीय वर्ष की तरह अपरिवर्तित रहने का अनुमान है।

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