समाज की नींव को हिला रहा भारत में बढ़ता बाल यौन शौषण

  • 2020 और 2021 के बीच 16.2 प्रतिशत बढ़ा भारत में बच्चों के खिलाफ अपराध

राशि असाटी सिहोरा
जबलपुर। हमारी भारतीय संस्कृति में कहावत है बच्चे मन के सच्चे, भगवान को लगते प्यारे, बच्चे मन के सच्चे…लेकिन कुछ दरिंदे उनकी इसी सच्चाई और भोलेपन का फायदा उठा रहे है। हमारे भारत में बाल यौन शौषण तेजी से बढ़ रहा है, जिसके मध्यप्रदेश टॉप 3 में शामिल है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी)की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले 3 साल में बच्चों के खिलाफ 418385 अपराध दर्ज किए गए और 2020-2021 में 16.2प्रतिशत इसकी वृद्धि हुई है। यही नहीं ऑनलाइन भी इसका आंकड़ा बढ़ रहा है जिसका शिकार लड़कियां हो रही है। ऑनलाइन बाल यौन शौषण के अनुमानित 2.4 मिलियन मामले दर्ज किए गए थे, जिनके 80प्रतिशत लड़कियां 14 साल से कम उम्र की पाई गई। हमारे देश में 2012 में पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस)नामक एक कानून लागू किया गया था। जिसके तहत 18 साल से छोटी उम्र के लोगो की गिनती बच्चों में मानी गई थी और उनके साथ यौन उत्पीडन को अपराध की श्रेणी में रखा गया था। और 2019 में कानून में संशोधन कर दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया। उसके बावजूद यह आंकड़ा कम होता हुआ नही बल्कि बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। जाने अंजाने में हमारा समाज भी इसका जिम्मेदार है। क्योंकि अधिकतर शोषण करने वाला व्यक्ति घर का ही कोई सदस्य या रिश्तेदार ही पाया जाता है। कभी कभी बच्चे उनका जिक्र भी नही कर पाते और जब करते है तो बहुत कम पैरेंट्स है जो कोई कड़ा कदम उठाते है। वह या तो अपनी इज़्ज़त के लिए चुप बैठ जाते है या अपने बच्चों की बातों पर यकीन नही करते। ज्यादातर बच्चे बोल नही पाते हमे हमारे घर के बच्चो पर ध्यान देना चाहिए साथ ही उन्हें खुद की सुरक्षा करना सीखना चाहिए। हमे और हमारे समाज को अब जागरुकता लाना अव्यशक है तभी हम इसे दरिंदों को उनके किए की सजा दिलवा पाएंगे और इसे रोक पाएंगे। अगर आपके आस पास या आपके घर में कोई ऐसा बच्चा है जिसमें आपको बाल यौन शौषण के लक्षण दिखे तो उनसे बात ज़रूर करे। उन्हे जरुरत है तो उनकी मदद करे।


बाल यौन शौषण के लक्षण

  • दोस्तों या सामान्य गतिविधियों से पीछे हटना, सबसे कटे कटे रहना या गुमसुम रहना।
  • व्यव्हार में बदलाव आना जैसे की क्रोध, शत्रुता, आक्रामकता, अति सक्रियता या स्कूल की पढ़ाई के प्रदर्शन में बदलाव आना।
  • चिंता में रहनाए हमेशा डरे सहमे रहना और आत्मविश्वास खो देना।
  • खुद को नुक्सान पहुंचाना, आत्महत्या जैसी बात करना या आत्महत्या का प्रयास करना।
  • नींद नहीं आना और बुरे सपने देखना या बिस्तर गीला कर देना।
  • अंगूठा चूसना या ऐसी हरकतें करना जो कभी पहले नही की हो।
  • कपड़े चेंज करने से मना करना।
  • छोटी छोटी बातों में झूठ बोलना और चीजे छुपाना।
  • छोटी छोटी बातें भूल जाना, किसी काम में मन नहीं लगना और गैरजिम्मेदार होना।
  • खाना खाने की आदतें बदल जाना। खाना खाने में या निगलने में दिक्कत होना।

निवारण

  • बच्चों की हर बात को गौर से सुने और उनकी बात को समझे।
  • उनपर भरोसा करे और उन्हे भरोसा दिलाएं की अगर उनके साथ गलत हुआ है तो आप उनके साथ है।
  • घर का माहोल हमेशा अच्छा रखने का प्रयास करे ताकि बच्चे कुछ कहना चाहे तो खुल के वो आपसे कह सके।
  • उन्हें हौसला दे कि वो बहुत स्ट्रॉन्ग है और उनके साथ जो हुआ उसमे उनकी गलती नही है।
  • बच्चों के व्यव्हार में बदलाव है तो उनसे प्यार से बात करे। अगर आपके आस पड़ोस में भी कोई ऐसा बच्चा है तो उनके घर वालो को इनफॉर्म करे।
  • 1098 चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर है, जिसपर आप कॉल कर सकते है।
  • बच्चों के सामने बार बार उस घटना का जिक्र न करे और उन्हे दूसरी एक्टिविटीज में व्यस्त रखे ताकि उनका माइंड डायवर्ट हो सके।
  • अगर आपको लगता है कि कुछ गलत हुआ है तो अपने बच्चे का मेडिकल एग्जामिनेशन जल्द से जल्द करवाए।
  • बच्चो को सिखाएं कि अपनी सुरक्षा कैसे करनी है। उन्हे गुड टच और बेड टच की जानकारी दे। उन्हे बताए कि अगर कोई उन्हे चॉकलेट देकर अकेले कमरे में ले जाने की बात कहे तो ना जाए।
  • बच्चो को ऑनलाइन इन सब से बचाने के लिए उनके मोबाइल को बीच बीच में चेक करे कि कही कुछ गलत तो उनके मोबाइल में नही है। ज्यादा छोटी उम्र से उन्हे पर्सनल मोबाइल नही दे।

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