लिव-इन जोड़े को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- व्यभिचारी जीवन जी रहा पुरुष

नई दिल्ली (New Delhi)। पहली पत्नी को तलाक दिए बगैर (without divorcing the first wife) दूसरी महिला (living in with another woman) के साथ लिव-इन (live-in relationship) में रह रहे पुरुष को हाईकोर्ट (High Court) ने सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) का कहना है कि इस स्थिति में पुरुष द्विविवाह या बिगमी का अपराधी हो सकता है। लिव-इन में रह रहे जोड़े ने अदालत से पुलिस सुरक्षा की मांग की थी।

हाईकोर्ट का कहना है कि भारतीय दंड संहिता यानी IPC की धारा 494 के तहत याचिकाकर्ता को द्विविवाह का अपराधी हो सकता है। जस्टिस कुलदीप तिवारी याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। हालांकि, अदालत ने पाया कि पुरुष पहले ही किसी महिला के साथ शादी कर चुका है और इसके बाद भी वह किसी अन्य महिला के साथ लिव-इन में रह रहा है।

कोर्ट ने कहा, ‘पिछले साथी से बगैर तलाक लिए और पिछली शादी के दौरान याचिकाकर्ता क्रमांक 2 (पुरुष) याचिकाकर्ता क्रमांक 1 (लिव-इन पार्टनर) के साथ वासनापूर्ण और व्यभिचारी जीवन जी रहा है, जो IPC की धारा 494-495 के तहत अपराध हो सकता है…।’ ऐसे में कोर्ट ने सुरक्षा की मांग खारिज कर दी।

खास बात है कि द्विविवाह IPC की धारा 494 के तहत अपराध है और इसके तहत अधिकतम 7 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। इस मामले में कोर्ट ने यह भी कहा कि पुरुष और उसकी पत्नी के बीच तलाक का मामला फैमिली कोर्ट में लंबित है। दोनों याचिकाकर्ताओं ने रिश्तेदारों से सुरक्षा के चलते उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

कोर्ट को बताया था कि पुरुष के परिजनों ने रिश्ते को स्वीकर कर लिया है। जबकि, महिला (पार्टनर) के रिश्तेदारों ने उसे मारने की धमकी दी है। कोर्ट ने पाया कि इन आरोपों को साबित करने के लिए कुछ भी पेश नहीं किया गया। कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि ऐसा लगता है कि व्यभिचार के मामले में किसी भी आपराधिक कार्रवाई से बचने के लिए ऐसा किया गया था।

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