रिसर्चः साइबर हमला रोकने के साथ अटैकर का पता भी लगाएगा IIT कानपुर

नई दिल्ली (New Delhi)। क्रिप्टोग्राफी (Cryptography), यूएवी (अनमैंड एयर व्हीकल) (UAV (Unmanned Air Vehicle)) आदि सेक्टर को आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) जल्द न सिर्फ साइबर सुरक्षा (Cyber ​​security) देगा बल्कि अटैकर का पता भी लगाएगा। इसके लिए वैज्ञानिक व स्टार्टअप की टीम (Team of scientists and startups) रिसर्च कर सिस्टम विकसित करेंगे। रिसर्च संस्थान की अत्याधुनिक कंप्यूटर लैब सी3आई (State of The Art Computer Lab C3I) में होगी। टीम साइबर हमलावर का पता लगाने को विशेष तकनीक विकसित करेगी।

देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के मार्गदर्शन में देश में 25 तकनीक हब बनाए गए हैं। यहां मुख्य रूप से एग्रीकल्चर, इंफ्रास्ट्रक्चर डिफेंस, वातावरण और हेल्थकेयर क्षेत्र में स्टार्टअप शोध कर तकनीक विकसित करने के साथ उत्पाद तैयार कर रहे हैं। कुल 3600 करोड़ का प्रोजेक्ट है, जिसमें अभी तक 550 उत्पाद तैयार किए गए हैं। 300 से अधिक तकनीक विकसित हो चुकी हैं। आईआईटी में मुख्य रूप से साइबर सुरक्षा पर काम हो रहा है। भविष्य में साइबर हमले तेजी से होंगे और इससे सुरक्षा की जरूरत सिर्फ सरकारी नहीं बल्कि हर निजी कंपनी को होगी।

फिलहाल आईआईटी ने आने वाले चार सालों में क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को साइबर हमलों से सुरक्षित करने का लक्ष्य रखा है। इसी तरह नेटवर्क सुरक्षा, क्रिप्टोग्राफी, घुसपैठ का पता लगाने, ब्लॉकचेन, यूएवी सुरक्षा जैसे सिस्टम को भी विकसित करेगा। लैब के प्रभारी प्रो. मणींद्र अग्रवाल के अनुसार, संस्थान के वैज्ञानिक व स्टार्टअप देश को साइबर सुरक्षा देने के लिए अलग-अलग तकनीक विकसित कर रहे हैं। देश को सबसे पहले क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में सुरक्षा देना जरूरी है। वैज्ञानिकों ने अब साइबर हमला से सुरक्षा संग अटैकर का पता लगाने का टूल बना रहा है।

मोदी का है यह विजन
यह विजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का था। उन्हीं के विजन के बाद इस ओर काम होना शुरू हुआ। अब प्राइवेट सेक्टर भी इस ओर इन्वेस्ट कर रहा है। नई-नई तकनीकी डेवलप हो रही है और कई तकनीक पर काम तेजी से चल रहा है, क्योंकि चोर और पुलिस से ज्यादा हैकर बुद्धिमान होते हैं।

क्या है साइबर अटैक
साइबर अटैक को किसी कंप्यूटर अपराध के रूप में और अधिक सामान्य तरीके से इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है। वास्तविक दुनिया के बुनियादी ढाँचे, संपत्ति तथा किसी के जीवन को हानि पहुंचाए बिना किसी कंप्यूटर नेटवर्क को लक्षित कर उसे क्षति पहुँचाना। इसे हैकिंग भी कहा जाता है।

बचेंगे नहीं अपराधी
साइबर हमलों से सुरक्षित रखने के लिए आईआईटी के वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं। अब साइबर क्रिमनल का भी पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने नई तकनीक पर काम लगभग पूरा कर लिया है। इसमें क्रिप्टोग्राफी, ब्लॉकचेन, यूएवी सुरक्षा, घुसपैठ का पता लगाने जैसी कई चीजें शामिल हैं।

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