डीजल कारों को खरीदना पेट्रोल कार के मुकाबले कितना फायदेमंद है, जानिए

मुंबई (Mumbai)।  डीजल इंजन के वाहनों से प्रदूषण को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) ने कहा है कि वह वित्त मंत्री से अनुरोध करेंगे कि डीजल इंजन (diesel engine) से चलने वाले वाहनों पर अतिरिक्त 10 फीसदी जीएसटी (GST) को लगाया जाए। सरकार की ओर से अगर डीजल इंजन वाले वाहनों पर अतिरिक्त टैक्स लगाया जाता है, तो डीजल कारों को खरीदना पेट्रोल कार के मुकाबले कितना फायदेमंद हो सकता है। इसकी जानकारी हम इस खबर में आपको दे रहे हैं।


कीमत में अंतर
पेट्रोल कारों के मुकाबले डीजल इंजन वाली कारों को खरीदना हमेशा से ही महंगा रहा है। लेकिन भविष्य में पेट्रोल और डीजल कारों की कीमतों में अंतर और ज्यादा हो सकता है। आमतौर पर अगर आप आठ लाख रुपये की किसी पेट्रोल कार को खरीदते हैं तो उसी कार को डीजल इंजन के साथ खरीदने में आपको एक से दो लाख रुपये तक ज्यादा देने पड़ते हैं। लेकिन अगर सरकार की ओर से 10 फीसदी का अतिरिक्त टैक्स लगाया जाता है तो यह अंतर दो लाख रुपये से भी ज्यादा हो सकता है। जिसके बाद 10 लाख रुपये वाली पेट्रोल कार के मुकाबले उसी कार के डीजल इंजन वर्जन को खरीदने में अंतर करीब ढाई से तीन लाख रुपये तक का हो सकता है।

क्या होता है फर्क
पेट्रोल और डीजल इंजन वाली कारों की कुल लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई और कुछ फीचर्स एक तरह के होते हैं। लेकिन इंजन की पावर में फर्क होता है। ज्यादातर मामलों में पेट्रोल इंजन वाले वैरिएंट की पावर ज्यादा होती है लेकिन टॉर्क कम होता है। वहीं डीजल इंजन के साथ उसी कार को कम पावर लेकिन ज्यादा टॉर्क मिलता है। इसके अलावा सेफ्टी फीचर्स भी करीब-करीब एक जैसे मिलते हैं।

डीजल वाहन की उपयोगिता
देश में आमतौर पर यह धारणा थी कि अगर आप महीने में दो से ढाई हजार किलोमीटर तक कार को चलाते हैं तभी डीजल इंजन वाली कार को खरीदना आपके लिए फायदेमंद होता था। लेकिन अगर आज की स्थिति में आप डीजल इंजन वाली कार को खरीदना चाहते हैं तो ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट अमित खरे के मुताबिक आप महीने में तीन या साढ़े तीन हजार किलोमीटर या उससे ज्यादा कार चलाते हैं, तभी आपके लिए डीजल इंजन वाली कार बेहतर साबित हो सकती है।

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