निजी अस्पतालों में सरकारी एम्बुलेंस कितनी बार गई, रखी जाएगी नजर

108 कर्मचारियों की शिकायतों का अम्बार, कलेक्टर ने नियमित जांच के दिए निर्देश

इंदौर। शहर में दुर्घटना, आपातकालीन स्थिति और लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं दिलाने के लिए तैनात की गई 108 एम्बुलेंस अब इनके चालकों की ही कमाई का जरिया बन गई है। कलेक्टर तक पहुंची शिकायत के बाद अब निजी अस्पतालों में सरकारी एम्बुलेंस कितनी बार गई, इस पर नजर रखी जाएगी।

शहर के सरकारी अस्पतालों मे ंतैनात एम्बुलेंस और शहर के व्यस्ततम चौराहों, ग्रामीण क्षेत्रों, सार्वजनिक स्थानों और निजी अस्पतालों के बाहर तैनात सरकारी एम्बुलेंस (Ambulance) की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। जीपीएस ट्रेकिंग के माध्यम से किन-किन क्षेत्रों मे एवं कहां से मरीज किस अस्पताल में भर्ती कराया है, व 108 एम्बुलेंस निजी अस्पतालों के चक्कर काटकर आई है, इस पर खाका तैयार किया जाएगा। कलेक्टर को मिल रही शिकायतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह निर्देश दिया गया था। कलेक्टर इलैयाराजा टी ने सीएमएचओ सैत्या को एम्बुलेंस की अनाधिकृत गतिविधियों पर नजर रखने और संज्ञान मे आने पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। ज्ञात हो कि दुर्घटनाग्रस्त मरीज को या गर्भवती महिलाओं को अस्पताल (Hospital) पहुंचाने के मामलों में एम्बुलेंस कर्मचारियों द्वारा निजी अस्पतालों को प्राथमिकता दी जा रही है, वहीं संज्ञान में आए मामलों में मरीजों को एम्बुलेंसकर्मी द्वारा  निजी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए प्रेरित करने जैसी घटनाएं सामने आ रही है।

शिकायत के बाद हुआ खुलासा

ज्ञात हो कि इंदौर जिले में 71 सरकारी एम्बुलेंस काम कर रही है, जिसमें 27 जननी वाहन भी शामिल किए गए हैं, वहीं 37 वाहन, 108 एम्बुलेंस के रूप में विभिन्न क्षेत्रों में तैनात रहती है। तुलसी नगर क्षेत्र में एक्सीडेंट  हुए मरीज को नवलखा क्षेत्र के निजी अस्पताल में भर्ती कराने का मामला शिकायत में सामने आया है। शिकायकर्ता के अनुसार एम.वाय. अस्पताल में रसीद कटाने के बाद मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, और मनमाना पैसा वसूला गया।  हालांकि अधिकारियों द्वारा अभी तक मामला जांच प्रक्रिया में हैं।

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