अफसर एक कॉलोनी काटें तो पता चले कितनी अनुमतियों के लिए लगते हैं चक्कर

 

क्रेडाई के प्रॉपर्टी शो में नायब तहसीलदार सहित कॉलोनी सेल के अफसरों को लेकर पहुंचे कलेक्टर ने किया खुलकर संवाद, सरकारी विभागों की कमियां स्वीकारने के साथ सुझावों को भी सुना
इंदौर। ऐसा सिर्फ कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ही कर सकते हैं कि वे एक तरफ रियल इस्टेट (Real Estate)  में आई गंदगी को सख्ती से साफ करें और दूसरी तरफ अच्छे कारोबारियों (Businessmen) की पीठ थपथपाते हुए उनके साथ खुलकर संवाद स्थापित करें और शिकायतों-सुझावों को भी खुले दिल-दिमाग से सुनें और अपने सरकारी विभागों की कमियों को भी बेबाकी से स्वीकार करें। यहां तक कि उन्होंने अपने अधिनस्थ को मंच से ही कहा कि एक कॉलोनी काटकर देखो, तब पचा चलेगा कि कितनी तरह की अनुमतियां लगती हैं और इसके लिए किन-किन विभागों के चक्कर काटना पड़ते हैं। क्रेडाई (CREDAI) के प्रॉपर्टी शो (Property Show) में कलेक्टर अपने साथ नायब तहसीलदार और कालोनी सेल के प्रभारी को भी साथ ले गए।

लाभगंगा कन्वेंशन सेंटर (Labhganga Convention Center) में तीन दिन का प्रॉपर्टी शो रियल इस्टेट कारोबारियों की अधिकृत और सबसे बड़ी संस्था क्रेडाई ने आयोजित किया। कल प्रॉपर्टी शो का समापन था, जिसमें कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) भी संवाद के लिए बिल्डर-कालोनाइजरों के बीच पहुंचे। विधायक महेन्द्र हार्डिया भी इस अवसर पर मौजूद रहे। क्रेडाई इंदौर के अध्यक्ष निर्मल अग्रवाल और सचिव संदीप श्रीवास्तव तथा चेयरमैन गोपाल गोयल, आयोजक सुमित मंत्री ने क लेक्टर सहित अन्य अधिकारियों का स्वागत किया और रियल इस्टेट के कारोबार में नगर तथा ग्राम निवेश, निगम, कलेक्टर कार्यालय के साथ रेरा और अन्य विभागों से संबंधित समस्याएं और अनुमतियों को मिलने में देरी को लेकर सवाल उठाए और अन्य सदस्यों ने इस संबंध में सुझाव भी कलेक्टर को दिए। दूसरी तरफ कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने बेबाकी से अपनी बात कही। उन्होंने दो टूक कहा कि इंदौर के रियल इस्टेट कारोबार में अधिकांश अच्छे बिल्डर-कालोनाइजर हैं, जिन्होंने शहर के विकास में योगदान के साथ राजस्व और बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराया है। वहीं दूसरी तरफ कुछ गंदे लोग भी हैं, जिनके खिलाफ हमें माफिया अभियान चलाकर सख्ती करनी पड़ी। कलेक्टर ने गृह निर्माण संस्थाओं, डायरियों पर बेचे गए अपंजीकृत कालोनियों का भी हवाला दिया। वहीं सरकारी विभागों के द्वारा अनुमतियों में होने वाले विलंब की परेशानी भी समझी और साथ ही क्रेडाई को यह भी सलाह दी कि वे उन लोगों को भी जोड़े जो नियम विरूद्ध काम करते हैं, ताकि उन्हें अच्छे लोगों के साथ जुडऩे के चलते कायदे-कानूनों की जानकारी हो और आम आदमी की वे उस पीड़ा को भी समझ सकेंगे, जिसके चलते 10-15 लाख रुपए की राशि कोई व्यकि अपनी जमा पूंजी से जुटाकर किसी बिल्डर या कालोनाइजर के हवाले करता है और उसके हितों की रक्षा करना हमाला पहला कत्र्तव्य है। वहीं उन्होंने अपनी नायब तहसीलदार रेखा सचदेव से कहा कि वे एक कालोनी काटकर देखें तो पता चलेगा कि कितनी मुश्किल से अनुमतियां मिलती हैं। कलेक्टर अपने साथ अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर और राजेश राठौर को भी साथ ले गए।

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