इंदौरः नाइजीरियन को पकड़ना पड़ा महंगा, पुलिस को लग गई पांच लाख की चपत

इंदौर (Indore)। ‘एमपी अजब है, सबसे गजब है…’ भले ही ये ऐड जिंगल मध्य प्रदेश टूरिज्म (Madhya Pradesh Tourism) के लिए बनाया गया हो, मगर वाकई में यह प्रदेश हर मामले में अजब और गजब है. अब मध्य प्रदेश के पुलिस विभाग (Madhya Pradesh Police Department) को ही देख लीजिए. एक नए मामले में विदेशी आरोपी (foreign accused) की वजह से पुलिस को ही 5 लाख रुपए की चपत (5 lakh rupees loot) लग गई।

दरअसल, मध्य प्रदेश के मिनी मुंबई यानी इंदौर के एक थाने में नाइजीरियन आरोपी को रखना पुलिस को महंगा साबित हो गया. युवक को वापस उसके देश भेजने तक की प्रक्रिया में पुलिस को 5 लाख रुपए तक खर्च करने पड़े हैं।

मामला यह था कि नाइजीरियन युवक ने शहर की एक 62 वर्षीय वृद्धा से ऑनलाइन ठगी की थी। ऑनलाइन धोखाधड़ी में इंदौर की साइबर सेल ने दिल्ली से आरोपी विज्डम ओबिन्ना चिमिजी को गिरफ्तार किया था।

साइबर की जांच के बाद करीब 2 साल जेल में काटने के बाद विज्डम के वकील ने उसका केस लड़ा. कोर्ट में पुलिस ने आरोपी के खिलाफ जिन धाराओं में केस दर्ज किया था, उसमें एक भी साक्ष्य नहीं उपलब्ध करवा सकी। इस पर 5 माह पहले कोर्ट ने आरोपी विज्डम को दोष मुक्त कर दिया. पांच माह से वीजा नहीं मिलने के कारण उसे मेहमान की तरह रखना पड़ा है. पुलिस ने सिर्फ मोबाइल सिम और आईपी एड्रेस के आधार पर नाइजीरियन को मुलजिम बनाकर दो साल जेल में कटवा दिए।

यही नहीं, दोष मुक्त होने के बाद उसका वीजा और इमरजेंसी ट्रेवलिंग सर्टिफिकेट न मिल पाने से पुलिस को उसे मेहमानों की तरह थाने में एक कमरा देकर खाने-पीने, रहने तक की व्यवस्था शासकीय खर्च पर करनी पड़ी. उसकी निगरानी में 4 महीनों तक एक गार्ड भी रखना पड़ा।

इनका कहना

इंदौर एडिशनल डिप्टी कमीशनर राजेश दंडोतिया ने बताया कि एक ऑनलाइन ठगी का मामला साइबर सेल में रजिस्टर्ड किया गया था. इस मामले में आरोपी जेल में बंद था. अब कोर्ट ने आरोपी को दोष सिद्ध न होने पर बरी कर दिया है।

जेल से छूटे नाइजीरियन के पास चूंकि पासपोर्ट वैध नहीं था, इसलिए लगातार दूतावास से बातचीत चल रही थी. करीब 5 महीने तक विदेशी नागरिक डिटेन सेंटर में रह रहा था. अब उसके पासपोर्ट की वैधता बढ़ा दी गई है, इसलिए उसे 28 फरवरी को डिपोर्ट करना है।

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