जीतू पटवारी ने उठाए शिक्षा विभाग के आदेश पर सवाल, कहा- हर साल…

भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में एक अप्रैल से नवीन शैक्षणिक सत्र की शुरुआत होने जा रही है, इसके आदेश शिक्षा विभाग (education Department) ने जारी कर दिए हैं. इसमें बताया कि एक माह तक विद्यार्थियों को बुनियादी शिक्षा के लिए पुनर्भ्यास कराया जाएगा. इसके बाद जून में जब स्कूल खुलेंगे तो नई कक्षा की पढ़ाई शुरू होगी. सत्र के प्रारंभ में विद्यार्थियों में विज्ञान, गणित एवं भाषा विषय की कठिन अवधारणाओं का अभ्यास 30 अप्रैल तक कराया जाएगा. इधर शिक्षा विभाग के इन आदेशों पर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह रस्म अदायगी हर साल निभाई जाती है.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने ट्वीट कर लिखा कि मध्य प्रदेश के सरकारी व निजी स्कूलों का शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल से शुरू होगा. स्कूल शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों के लिए नवीन शिक्षा सत्र 2024-25 में नामांकन एवं पुनर्भ्यास संबंधी दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. पहले एक माह तक विद्यार्थियों को बुनियादी शिक्षा के लिए पुनर्भ्यास कराया जाएगा. इसके बाद जून में जब स्कूल खुलेंगे तो नई कक्षा की पढ़ाई शुरू होगी. सत्र के प्रारंभ में विद्यार्थियों में विज्ञान, गणित एवं भाषा विषय की कठिन अवधारणाओं का अभ्यास 30 अप्रैल तक कराया जाएगा.

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने लिखा कि एक अप्रैल को बाल सभा और विशेष भोज का आयोजन किया जाएगा. विद्यार्थियों का तिलक लगाकर स्वागत किया जाएगा. हर माह के लिए शैक्षणिक गतिविधियों का कैलेंडर जारी किया गया है. यह ऐसे सरकारी आदेश हैं जो हर साल रस्म अदायगी की तरह जारी होते हैं. ना विभाग इसको लेकर गंभीर होता है और ना ही सरकार, वजह भी बड़ी साफ है. दोनों को ही इसके नुकसान फायदे से कोई फर्क नहीं पड़ता. पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा कि अब कुछ नए आंकड़ों से असल मुद्दे पर आते हैं. पिछले साल यानी नवंबर 2023 में पब्लिक डोमेन सामने आई रिपोर्ट के अनुसार या यूं कहें कि मध्य प्रदेश राज्य शिक्षा पोर्टल 2.0 के मुताबिक, प्रदेश के 2621 स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं है. 47 जिलों में 7793 स्कूलों में केवल एक शिक्षक है. विंध्य क्षेत्र में 1747 स्कूलों में एक शिक्षक है और 554 स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं है.

चंबल अंचल में 1246 स्कूलों में 1 शिक्षक है और 558 स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं है. महाकौशल क्षेत्र में 710 स्कूलों में एक शिक्षक है और 140 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है. मध्य भारत के 1147 स्कूलों में एक शिक्षक है और 363 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है. मालवा निमाड़ क्षेत्र में 1512 स्कूलों में एक शिक्षक है और 471 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है. बुंदेलखंड क्षेत्र में 1431 स्कूलों में एक शिक्षक है और 537 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है.

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने लिखा कि मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश की जनता को यह बताने का कष्ट करेगी कि इस स्थिति में अब कितना सुधार हुआ है. यदि कुछ शिक्षकों की भर्ती हुई भी है, तो उस अनुपात में कितने बच्चे बढ़ गए हैं. वर्तमान में शिक्षक और विद्यार्थियों की उपस्थिति का अनुपात क्या है. उन्होंने लिखा कि सच्चाई यह है कि बीजेपी सरकार शिक्षा को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. यही सबसे बड़ा कारण है कि शाला छोड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है. बेहतर यही होगा कि झूठे आंकड़ों के जरिए सच्चाई छुपाने वाली सरकार शिक्षा को लेकर अपने सरोकारों स्पष्ट करे.

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