विधायक पद की शपथ लेने के बाद दिल्ली जाने को लेकर कमलनाथ ने दिया बड़ा बयान

भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (Kamalnath) ने विधानसभा चुनाव में जीत (victory in assembly elections) के करीब 36 दिन बाद सोमवार को विधायक पद की शपथ ली. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (Twitter) इस बात की जानकारी खुद कमलनाथ ने पोस्ट शेयर करके दी. उन्होंने बताया कहा- आज मध्य प्रदेश विधानसभा में माननीय विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र तोमर (Narendra Tomar) ने मुझे विधायक पद की शपथ दिलाई. मुझे विधायक बनने के लिए मैं छिंदवाड़ा के समस्त मतदाताओं का आभार व्यक्त करता हूं और जीवन पर्यंत छिंदवाड़ा और मध्य प्रदेश की जनता की सेवा करता रहूंगा.

विधायक पद की शपथ लेने के बाद जब उनसे मीडिया ने दिल्ली जाने को लेकर पूछा तो उन्होंने कहा- मैं दिल्ली क्यों जाऊंगा. कांग्रेस हाईकमान की नाराजगी और इस्तीफे के सवाल पर बोले- ये उन्हीं से पूछिए. इस मौके पर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी मौजूद रहे. इंडिया गठबंधन को लेकर नाथ ने कहा- ‘इंडिया गठबंधन पर बात चल रही है. जरूर कोई निचोड़ निकलेगा.’ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पार्ट टू पर पूछे गए सवाल- न्याय यात्रा इंडिया गठबंधन क्यों नहीं निकाल रहा, के जवाब में कमलनाथ बोले- ‘जो लोग इसको देख रहे हैं, वे फैसला करेंगे. मैं इंडिया गठबंधन की चर्चा में शामिल नहीं हूं.’

बता दें कि विदेश दौरे के चलते कमलनाथ और परासिया विधायक सोहनलाल वाल्मीकि का शपथ ग्रहण बाकी रह गया था. कमलनाथ के साथ सोहनलाल को आज स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर ने शपथ दिलाई. इससे पहले 18 और 19 दिसंबर को विधानसभा के विशेष सत्र में 227 विधायकों को शपथ दिलाई गई थी. विधानसभा सत्र के आखिरी दिन कमलनाथ और सोहनलाल के विदेश दौरे की जानकारी सदन को दी गई थी.

दोनों नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह समेत कई नेता मौजूद रहे. दिग्विजय सिंह कमलनाथ की गाड़ी में साथ पहुंचे. बातें कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने कमलनाथ की जगह जीतू पटवारी को कांग्रेस का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी उमंग सिंघार को दी गई है. नई टीम में दिग्विजय और कमलनाथ जैसे सीनियर नेताओं को दूर रखा गया था.

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