चीनी सामानों के बहिष्कार के लिए दिल्ली में 25 को होगी व्यापारियों की ‘महापंचायत’

नई दिल्‍ली। भारत-चीन (India-China) के रिश्तों में आई तल्खी के बीच चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने चीनी उत्पादों (chinese products) के बहिष्कार के लिए दिल्ली में 25 दिसंबर को एक बैठक (meeting) बुलाई है, जिसे ‘महापंचायत’ का नाम दिया गया है।

सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल (CTI Chairman Brijesh Goyal) का दावा है कि इस बैठक में दिल्ली के सभी व्यापारी और इंडस्ट्री एसोसिएशन के पदाधिकारी हिस्सा लेंगे। इसमें फैसला लिया जाएगा कि किस तरह से चीनी उत्पादों का राजधानी के व्यापारी बहिष्कार करेंगे। उन्होंने कहा कि मोटे अनुमान के तौर पर राजधानी में ही चीनी उत्पादों का करीब 50 हजार करोड़ रुपये का सालाना का कारोबार है।

अब हम व्यापारियों को जागरूक करेंगे कि वो चीन में बने उत्पादों का बहिष्कार करें। ध्यान रहे कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन सेना के बीच हुई झड़प के बाद सीटीआई वहां के उत्पादों का विरोध कर रही है। इसको लेकर दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी किया गया है।

भारतीय उत्पाद ही खरीदेंगे, भले ही दोगुनी कीमत चुकानी पड़े : केजरीवाल
वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी बीते दिनो अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए केंद्र से देश के सैनिकों के लिए कुछ दम और सम्मान दिखाने को कहा था।

केजरीवाल ने पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि सीमा पर चीनी आक्रामकता बढ़ रही है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार कहती है सब कुछ ठीक है। उन्होंने आरोप लगाया कि चीन को सजा देने के बजाय, मोदी सरकार इस पड़ोसी देश से बड़ी मात्रा में आयात की अनुमति देकर बीजिंग को इनाम दे रही है, जबकि भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों का डटकर मुकाबला कर रहे हैं और अपनी जान तक दे देते हैं।

‘आप’ नेता ने कहा कि क्या हमारे जवानों के लिए आपके मन में कोई सम्मान नहीं है? थोड़ा दम दिखाओ। अगर भारत ने आयात बंद कर दिया तो चीन को औकात पता चल जाएगी।

उन्होंने देशवासियों से चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि वे कहते हैं कि चीनी उत्पाद सस्ते हैं। हम सस्ते होने पर भी चीनी उत्पाद नहीं चाहते हैं। हम भारत में बने उत्पादों को खरीदने के लिए तैयार हैं, भले ही इसकी हमें दोगुनी कीमत चुकानी पड़े।

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