MP: पूर्व CM शिवराज और VD शर्मा की आज कोर्ट में पेशी, HC ने इस मामले में छूट देने से किया इनकार

जबलपुर: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (Shivraj Singh Chouhan) बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा (VD Sharma) और विधायक भूपेंद्र सिंह (Bhupendra Singh) को मानहानि के मामले में जबलपुर (Jabalpur) की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट में आज शुक्रवार (22 मार्च) को पेश होना है. कांग्रेस (Congress) के राजयसभा सदस्य विवेक तन्खा द्वारा लगाए 10 करोड़ रुपये के मानहानि केस में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (High Court) से तीनों नेताओं को पेशी में छूट से फिलहाल राहत नहीं मिली है.

पूर्व सीएम शिवराज सिंह, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और विधायक भूपेंद्र सिंह को जबलपुर की एमपी एमएलए कोर्ट में आज शुक्रवार को उपस्थित होना है. लोकसभा चुनाव की व्यस्तता बताते हुए तीनों नेताओं ने हाई कोर्ट में अंतरिम राहत दिए जाने के लिए निवेदन किया था. इनमें से शिवराज सिंह चौहान और वीडी शर्मा बीजेपी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं.

कोर्ट ने क्या कहा?
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने पूर्व सीएम शिवराज सिंह, वीडी शर्मा और विधायक भूपेंद्र सिंह को अंतरिम राहत देने से इंकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर उपस्थिति में छूट के लिए जबलपुर की एमपी-एमएल कोर्ट के समक्ष आवेदन करें. जिस पर संबंधित कोर्ट विचार करेगी. एकलपीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई 23 अप्रैल को निर्धारित की है.

क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि राज्य सभा सदस्य तन्खा द्वारा एमपी-एमएलए कोर्ट जबलपुर में पूर्व सीएम शिवराज सिंह, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और विधायक भूपेंद्र सिंह के खिलाफ 10 करोड़ की मानहानि का परिवाद दायर किया गया है. इसमें आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण से संबंधित उन्होंने कोई प्रतिकूल बात नहीं कही थी. उन्होंने मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव मामले में परिसीमन और रोटेशन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी.

कोर्ट ने चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी तो शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह ने उनके खिलाफ गलत आरोप लगाकर उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया. 20 जनवरी 2024 को कोर्ट ने तीनों नेताओं को धारा 500 का दोषी मानते हुए प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए थे. इस आदेश के खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई थी, जिसमें तीनो नेताओं को अंतरिम राहत नहीं मिली.

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