MP : अब नरवाई जलाने पर जाना पड़ सकता है जेल, उज्जैन कलेक्टर ने दिया आदेश

उज्‍जैन । मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में उज्जैन (Ujjain ) के कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी आशीष सिंह (Collector Ashish Singh) ने दण्ड प्रक्रिया संहिता-1973 की धारा-144 के तहत पूरे उज्जैन जिले में आगामी आदेश तक नरवाई में आग लगाने पर रोक का आदेश दिया है. अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी संतोष टैगोर ने जिले के सभी किसानों को निर्देश दिये हैं कि कोई भी अपने खेतों के अवशेष (नरवाई) में आग न लगायें. अगर कोई व्यक्ति या किसान आदेश का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ दण्ड प्रक्रिया संहिता-1973 की धारा 188 और अन्य लागू होने वाले प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जायेगी.

कितने दिन के लिए है आदेश
एडीएम ने उक्त अधिनियम के तहत आदेश एकपक्षीय पारित किया है. कोई भी हितबद्ध पक्ष अधिनियम के अन्तर्गत धारा-144(5) के अन्तर्गत इस आदेश के खिलाफ अपनी आपत्ति या आवेदन अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी के न्यायालय में प्रस्तुत कर सकता है. यह आदेश जारी होने से आगामी दो महीने तक की अवधि के लिये प्रभावशील रहेगा. अधिकारियों के मुताबिक इस मामले में अपराध सिद्ध हो जाने पर जेल की हवा भी खाना पढ़ सकती है.

क्या होता है नुकसान
बता दें कि उज्जैन जिले में फसल कटाई का काम लगभग पूरा हो रहा है. हमेशा देखने में आया है कि फसल कटाई के बाद किसान अपने खेतों में खड़े नरवाई (फसल अवशेष, डंठल) में खुले रूप से सुरक्षात्मक उपाय अपनाये बिना आग लगाकर खेतों की सफाई करते हैं. किसानों द्वारा अपनाई जाने वाली इस प्रक्रिया में उड़ने वाली चिंगारी से आसपास के खेत और अन्य तरीकों से आग लगने की बड़ी दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. साथ ही नरवाई जलाने की प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में धुंआ निकलने से पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ता है.

यह भी प्रतिबंध के कारण
खेत के अवशेष जलाने से आग लगने की दुर्घटनाएं होती हैं, जनहानि, धनहानि, पशु-पक्षियों की हानि, मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी आदि विपरीत प्रभाव पड़ता है. इससे क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होती है और लोकशान्ति और सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो जाता है. इसका समय रहते तुरन्त हल निकालना जरूरी था. फसल कटाई के बाद खेतों में नरवाई जलाने की प्रक्रिया पर प्रतिबंध लगाना जरूरी हो गया है.

हर साल दर्ज होते हैं मुकदमे
जिला प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद हर साल नियमों को तोड़ने के मामले सामने आते हैं. उज्जैन जिले की बात की जाए तो पिछले साल आधा दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. इसके अलावा यदि संभाग की बात की जाए तो 48 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गई थी. हालांकि इस बार सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.

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