MP: अब जेल में बंद कैदियों को सिखाए जाएंगे हुनर, मिलेगा रोजगार; व्यापारी उठाएंगे खर्चा

सागर: जेल का नाम सुनते ही लोगों की रूह काप जाती है कि जेल के अंदर चक्की पिसवाई जाएगी, पत्थर तुड़वाए जाएंगे, लेकिन अब माहौल बदल रहा है. जेल के अंदर अब कैदी चरखा चलाते हैं, हथकरघा पर काम करते हैं. सिलाई ,बुनाई, कढ़ाई ,लकड़ी का फर्नीचर बनाते हैं, लेकिन अब जेल प्रशासन चाह रहा है कि जेल के अंदर बंद कैदियों को प्रशिक्षण देकर प्राईवेट सेक्टर से जोड़ा जाए, जिससे उन्हें रोजगार मिले, ओवर क्राउंडिंग की समस्या ना हो और जेल को भी फायदा मिल सके.

सागर केंद्रीय जेल के अधिकारियों के द्वारा एक प्रस्ताव बनाया गया है, जिसमें जेल परिसर में प्राइवेट सेक्टर को यूनिट स्थापित करने की जगह दी जाए, जो भी अपनी यूनिट लगाएगा, वह लेबर के लिए जेल से ही कैदियों को काम करवाने के लिए लेंगे. इसके लिए उन्हें 3 महीने का पहला प्रशिक्षण दिया जाए.

प्रशिक्षण के समय कुछ तय राशि हो. उसके बाद जब वह सीख जाए तो तय मापदंडों के अनुसार उनको काम के पैसे दिए जाएं इसके साथ ही कैदी उपलब्ध कराने पर कुछ पैसे जेल को भी मिले. इस तरह की थीम पर सागर केंद्रीय जेल के बंदियों ने एक झांकी तैयार की थी, जिसे गणतंत्र दिवस समारोह में दिखाया गया. जिसमें यह भी बताया कि खतरनाक मुजरिम और गैंगस्टर अगर जेल में आते हैं तो किस तरह से उनको रखा जाना चाहिए.

सागर केंद्रीय जेल के अधीक्षक ने बताया कि हर साल की तरह जेल के कैदियों ने ही यहां की तैयार की थी, जिसकी थीम थी ‘2047 में हमारा भारत कैसा होगा’. उसमें आध्यात्मिक उन्नति, इकोनामिक डेवलपमेंट, अंतरिक्ष में भारत की ताकत, सेव अर्थ के रूप में तीन चरण रेड्युज, रीसायकल रीयुज, पूरी दुनिया में हमारे यहां से बौद्धिक उन्नति ,आर्मी की ताकत इन सभी बिंदुओं पर साथ ही ऊर्जा के क्षेत्र में जो एक्सपेरिमेंट हो रहे हैं.

नए संसाधनों का उपयोग हो रहा है. एग्रीकल्चर डेवलपमेंट हमारा कैसा होगा. तो यह सारी थीम एक झांकी में थी. इसी तरह से दूसरी झांकी में जेल में जो कैदी हैं उनको प्राइवेट सेक्टर से ट्रेंड कराकर के प्राइवेट सेक्टर की ही यूनिट जेल में लगाएं, जिससे कैदियों को रोजगार मिले ओवरक्राउडिंग की समस्या खत्म हो. समाज में स्थापित होने के लिए उनको एक अच्छा माहौल मिले. साथ ही साथ जो गैंगस्टर हैं. खतरनाक मुजरिम है. उनको जेल में कैसे रखना है, ताकि वह लोगों को परेशान ना कर सके. अपराधों का संचालन न कर सकें.

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