सारा अली नहीं इमरान हाशमी का चला जादू, फिल्म देखने से पहले पढ़े ‘ऐ वतन मेरे वतन’ का रिव्यू

मुंबई (Mum)। ऐ वतन मेरे वतन…ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो (OTT platform Amazon Prime Video) पर सारा अली खान (Sara Ali Khan) की फिल्म ने दस्तक दे दी है। इस फिल्म में सारा ने सच्ची गांधीवादी और कांग्रेस रेडियो की फाउंडर उषा मेहता का किरदार निभाया है। वहीं कल (22 मार्च) सिनेमाघरों में ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ आने वाली है।

‘ऐ वतन मेरे वतन’ के रिव्यू में ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ का जिक्र इसलिए किया गया है क्योंकि दोनों ही फिल्में स्वतंत्रता सेनानी पर आधारित हैं और दोनों ही फिल्में एक दिन के अंतराल में रिलीज हो रही हैं। एक फिल्म में सारा अली खान हैं और दूसरी फिल्म में रणदीप हुड्डा। रणदीप हुड्डा ने ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ में कैसा काम किया है इसकी झलक तो हमें उनके ट्रांसफॉर्मेशन की तस्वीरों में ही देखने को मिल गई है। अब सवाल यह उठता है कि सारा अली खान ने कैसा काम किया है? चलिए बताते हैं।

कुछ ऐसी है फिल्म की कहानी
नौ साल की उषा (सारा अली खान) के मन में आजाद भारत का सपना पल रहा होता है। वह बचपन में तो ज्यादा कुछ कर नहीं पाती है, लेकिन जब बड़ी हो जाती है तब अपने सपने को पूरा करने के लिए क्रांति लाने की कोशिश करती है। इस दौरान उसकी मुलाकता महात्मा गांधी से होती है। महात्मा गांधी के विचार सुनने के बाद उषा (सारा अली खान) देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तैयार हो जाती है और ब्रह्मचार्य अपनाने की कसम खाती है। लेकिन, जब कांग्रेस लीडर्स अरेस्ट हो जाते हैं तब उसके दोस्तों की हिम्मत टूट जाती है। वे लोग उषा (सारा) का साथ छोड़ देते हैं। हालांकि, उषा (सारा) पीछे नहीं हटती है। वह फहाद (स्पर्श श्रीवास्तव) के साथ मिलकर अंडरकवर कांग्रेस रेडियो की शुरुआत करती है। इस रेडियो की वजह से क्रांतिकारियों के दिल में ठंडी पड़ती जा रही आजादी की आग फिर से जलने लगती है। ऐसे में अंग्रेज पागलों की तरह उषा को पकड़ने की कोशिश करते हैं।


एक्टिंग
नवाबों के खानदान से ताल्लुक रखने वालीं सारा अली खान के पास अपने आप को साबित करने का बहुत अच्छा मौका था। हालांकि, उन्होंने अपना यह मौका बुरी तरह गंवा दिया है। न ही वह फिल्म में ठीक तरीके से एक्टिंग कर पाई हैं और न ही ढंग से डायलॉग बोल पाई हैं। इमरान हाशमी का कैमियाे भी इस फिल्म में कोई जान नहीं डाल पाया है। हालांकि, ‘लापता लेडीज’ से चर्चा में आए स्पर्श श्रीवास्तव ने अच्छा काम किया है।

कहानी
फिल्म का पहला हाफ बहुत बोरिंग लगता है। पहले हाफ में फिल्म की कहानी को बहुत धीमी गति से आगे बढ़ती है। हालांकि, मजा तब आता है जब रेडियो की शुरुआत होती है। लेकिन, कुछ वक्त बाद स्टारकास्ट की एक्टिंग उस मजे को भी किरकिरा कर देती है।

देखें या नहीं?
सारा अली खान की खूबसूरती देखनी है तो आप ये फिल्म देख सकते हैं। खराब एक्टिंग क्या होती है अगर वो समझना है तो ये फिल्म आपके लिए बेस्ट है। यदि आप देशप्रेम के लिए ये फिल्म देखना चाहते हैं तो ये आपको अंत में निराश कर सकती है।

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