अशोकनगर में विकास और प्रगति के छलावे की राजनीति में उलझे संसदीय क्षेत्र के लोग

अशोकनगर (Ashok Nagar)। वर्ष 2019 के पूर्व 17 वर्षों तक लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) कांग्रेस से गुना संसदीय क्षेत्र से सांसद रहे, 2019 मेें भाजपा के केपी यादव से सबा लाख वोटों से चुनाव हारे सिंधिया को भाजपा ने अब अपना गुना संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी बनाकर उतारा है।

अपने पिछले 17 वर्षों के संसदीय कार्यकाल की तरह अब फिर सिंधिया क्षेत्र के विकास और प्रगति की बात कर रहे हैं। उनके भाषणों में पूर्व की तरह केवल न केवल विकास और प्रगति ही महत्वपूर्ण विषय होता, जिसको लेकर लोग संशय की स्थिति में आ जाते हैं।

आखिर विकास और प्रगति की बात होने पर विकास और प्रगति दिखाई कहां पढ़ती है?

किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए शिक्षा-स्वास्थ्य, रोजगार, आवागमन के साधनों को बढ़ावा मिलना यह विकास और प्रगति के पायदान की सीढ़ी की श्रेणी में आते हैं।

गुना संसदीय क्षेत्र का अशोकनगर जिला यौवन के 21 वर्ष पूर्ण कर गया है। शिक्षा के तौर पर जिला मुख्यालय पर इन बीते वर्षों में शिक्षा के लिए केन्द्रीय विद्यालय की मांग चर्चाओं में रही। मांग तो इंजीनियरिंग महाविद्यालय आदि की भी रही। पर जिला मुख्यालय पर केन्द्रीय विद्यालय के नाम पर छलावे की राजनीति में क्षेत्र वासियों को उलझाये रखा गया। प्राथमिकता के तौर खुलने वाला एक विद्यालय भी 17 साल सिंधिया के और 5 साल केपी यादव के कार्यकाल में प्रारंभ नहीं हो सका।

हैरत की बात देखिये कि बीते विधानसभा चुनावों में अपने प्रत्याशी के समर्थन में आए सिंधिया एक मंच से यह तक कह गए कि मैंने यहां केन्द्रीय विद्यालय खुलवा दिया, लोग विकास और प्रगति का इस तरह का भाषण सुनकर आश्र्चय चकित रह गए थे।

उपचार के लिए भटकना होता है भोपाल-इंदौर:

संसदीय क्षेत्र के अशोकनगर जिला अस्पताल में सदैव की स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव रहा है।

यहां प्राथमिक तौर पर स्वीकृत डॉक्टरों के पदों के लिहाज पद खाली रहते हैं। जिला अस्पताल में स्वीकृत 54 डॉक्टरों के पदों में से 26 पद वर्षों से रिक्त पड़े हुए हैं। वहीं रेलवे लाईन के किनारे सीमित स्थान पर सिमटा जिला अस्पताल को बीते इन वर्षों में कोई नया मुकाम नहीं मिल सका है।

डॉक्टरों के अभाव और अन्य स्वास्थ्य सुविधायें न मिलने के कारण लोगों को भोपाल-इंदौर उपचार के लिए भटकना होता है, आखिर यह विकास और प्रगति के नाम पर छलावा नहीं तो क्या?


ट्रेनों का छलावा:

किसी भी क्षेत्र के विकास और प्रगति के लिए समुचित आवागमन के साधन होना आवश्यक होता है। पर जिला मुख्यालय से महानगरों इंदौर-दिल्ली को जोडऩे वाली कोई भी रेल सेवा बीते 21 सालों में शुरू नहीं हो सकी।

वहीं विकास और प्रगति के नाम पर सिंधिया सदैव ही मंचों से छोटे-छोटे स्टशनों पर ट्रेनों के स्टॉपेज का बखान करते रहे हैं। इस बीच वे कभी-कभी ऐसी ट्रेनें चलने का बखान भी कर देते हैं, जो एक दशक से इंदौर-जबलपुर टे्रन बंद पड़ी हुई है। विकास और प्रगति के नाम पर सिंधिया के इस तरह के भाषण सुन लोग आश्चर्य चकित होते हैं।

मांगे उठाने का रिकार्ड बनाया:

बीते पांच सालों से इस संसदीय क्षेत्र का नेतृत्व केपी यादव ने किया है। वे केन्द्रीय रेल और स्वास्थ्य समिति के सदस्य भी रहे। उनके द्वार संसद में लगातार क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न मांगे उठाने और पत्र व्यवहार की रिकार्ड भी बनाया, पर संसदीय क्षेत्र मूलभूत जन सुविधाओं से वंचित रहा। इस बीच जन सुविधाओं को लेकर बीच-बीच में केपी यादव और सिंधिया के बीच तकरारें चर्चा में रहीं। पर क्षेत्र तरसता रह गया विकास और प्रगति के लिए। एजेंसी

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