सिंहस्थ 2028 के लिए पीएचई ने बनाई 418 करोड़ रुपए की ये योजना

  • मेला क्षेत्र में होंगे 160 बोरिंग..1300 प्याऊ भी लगेगी
  • 6 करोड़ की लागत से गऊघाट क्षेत्र में बनेंगे नए आवासीय क्वार्टर-600 नए आउटसोर्स कर्मचारियों की होगी भर्ती-10 करोड़ की लागत से 121 कुएँ बावडिय़ों की भी होगी साफ सफाई

उज्जैन। सिंहस्थ 2028 की तैयारी के लिए पीएचई विभाग ने 400 करोड़ रुपए से अधिक का बजट तैयार किया है। इसमें सिंहस्थ क्षेत्र में कई काम किए जाएँगे। आश्रम, मठ, मंदिरों के साथ पूरे मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिए पेयजल की पुख्ता व्यवस्था की जाएगी। गौरतलब हैं कि पीएचई द्वारा बनाए गए प्रस्तावित बजट में 600 नए आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी जो पूरे सिंहस्थ मेला क्षेत्र में तीन शिफ्टों में सतत निगरानी रखेंगे। पेयजल व्यवस्था के लिये 12 करोड़ रुपए की लागत से गऊघाट जल-शोधन संयंत्र से त्रिवेणी तक पंपिंग मेन का कार्य किया जाएगा। करीब 1 करोड़ रु की लागत से गऊघाट ट्रीटमेंट प्लांट पर स्थित संयंत्र के लिए सब-स्टेशन पर ट्रांसफार्मर लगाया जाएगा। वहीं गऊघाट फिल्टर प्लांट पर एक नया आरओ प्लांट भी स्थापित किया जाएगा।

सिंहस्थ के पहले करीब 14 करोड़ की लागत से शहर के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न व्यास की पुरानी सीमेंट की पाईप लाईन को बदलकर नई एचडीपी पाईप लाईन बिछाकर गंदे पानी की समस्या का निराकरण एवं पानी के अपव्यय को रोकने का कार्य किया जाएगा। सिंहस्थ के दौरान क्षिप्रा नदी के 7 बैराज की मरम्मत पर पीएचई ने 4 करोड़ 90 लाख की राशि खर्च करने की योजना बनाई है। वहीं मंगलनाथ मेला क्षेत्र में 78 लाख रुपए की लागत से 600 किलो लीटर क्षमता वाली पानी की टंकी का निर्माण किया जाएगा। गऊघाट जल-शोधन यंत्र में नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना से पानी लेकर इसका उपचार किया जायेगा। पानी के उपचार के बाद पेयजल को उज्जैन शहर और सिंहस्थ मेला क्षेत्र के महाकाल और दत्त अखाड़ा जोन में चिन्तामन गणेश मंदिर क्षेत्र में बनाई गई टंकी के जरिये शुद्ध पानी के वितरण की व्यवस्था की जाएगी। इस प्रकार नये और पुराने 7 फिल्टर प्लांट से सिंहस्थ में श्रद्धालुओं को जल वितरण की व्यवस्था रहेगी। सिंहस्थ से पहले मेला क्षेत्र में 160 नए बोरिंग खोदे जाएँगे, वहीं पुराने नलकूप की सफाई कर इनके जरिये पीने के पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। पूरे मेला क्षेत्र में 1000 से 5000 की क्षमता वाले लगभग 1300 प्याऊ बनाए जाएँगे। वहीं आश्रमों, मठ, मंदिरों और पंडालों में भी पेयजल की पुख्ता व्यवस्था पीएचई द्वारा की जाएगी। इसके लिए मेला क्षेत्र में पाइप लाइन और ड्रेनेज का इंतजाम भी किया जाएगा। खास बात यह हैं कि श्रद्धालुओं को शुद्ध पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये पीएचई प्रतिदिन पानी के नमूने लेकर, उनके परीक्षण की व्यवस्था करेगी।

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