पीएम का ‘वेड इन इंडिया’ आह्वान अर्थव्यवस्था एवं व्यापार को करेगा मजबूत: कैट

कहा-डेस्टिनेशन शादियों में विदेशी धरती पर करीब एक लाख करोड़ रुपये हो रहे खर्च

नई दिल्ली (New Delhi)। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi.) के ‘वेड इन इंडिया’ आह्वान (‘Wed in India’ call.) का स्वागत किया है। कैट ने कहा कि देशभर के व्यापारी प्रधानमंत्री के इस आवाज का समर्थन करने के साथ आगे बढ़ाने के लिए काम करेगा। कारोबारी संगठन का मानना है कि ‘वेड इन इंडिया’ से देश की अर्थव्यवस्था एवं व्यापार को मजबूती मिलेगी। देश में डेस्टिनेशन वेडिंग का क्रेज बढ़ता जा रहा है। हर साल लगभग 5 हजार शादियां विदेशी धरती पर संपन्न हो रही हैं, जिसमें भारतीय लोगों के एक लाख करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने शनिवार को जारी बयान में प्रधानमंत्री के आह्वान को बेहद सामयिक एवं वक्त की जरूरत बताते हुए कहा कि देशभर के व्यापारी प्रधानमंत्री की इस आवाज का पूर्ण रूप से समर्थन करते हैं। इससे न केवल भारत के व्यापार में वृद्धि होगी, बल्कि देश की मुद्रा जो बाहर जा रही है, उस पर अंकुश लगेगा। दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देहरादून में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के उद्घाटन के दौरान पूंजीपतियों से विदेश में जाकर शादी करने के बजाय उत्तराखंड में आकर डेस्टिनेशन वेडिंग करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर उत्तराखंड में एक साल में 5 हजार भी डेस्टिनेशन वेडिंग हुईं, तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था काफी मजबूत होगी।

खंडेलवाल ने कहा कि गत 26 नवंबर को प्रधानमंत्री द्वारा अपने मन की बात कार्यक्रम में जब पहली बार इसका जिक्र उन्होंने किया तब से कैट ने देशभर में व्यापारियों एवं सिविल सोसाइटी के बीच देश में डेस्टिनेशन वेडिंग को प्रोत्साहित करने का एक अभियान चलाया हुआ है। उन्होंने कहा कि विदेशों में भारतीयों द्वारा डेस्टिनेशन शादियों के बारे में अभी तक कोई अधिकृत सर्वे नहीं हुआ है, लेकिन एक मोटे अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष करीब 5 हजार डेस्टिनेशन शादियाँ विदेशों में होती हैं जिसमें लगभग 75 हज़ार करोड़ रुपये से लेकर एक लाख करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है।

कैट के महामंत्री ने कहा कि भारत के विभिन्न राज्यों में ही करीब 100 प्रमुख शहरों में तथा उसके आस पास लगभग 2 हजार से अधिक ऐसे स्थान हैं, जहां डेस्टिनेशन शादियां हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि देश का संपन्न वर्ग यदि विदेश के बजाय इन स्थानों पर डेस्टिनेशन शादियां करना शुरू करे, तो बाक़ी लोग भी विदेश जाने की बजाय भारत में ही डेस्टिनेशन शादी करने में उनका अनुसरण करेंगे। उन्होंने कहा कि देश में मुख्य रूप से गोवा, महाराष्ट्र में लोनावाला, महाबलेश्वर, मुंबई, शिरडी, नासिक, नागपुर, गुजरात में द्वारिका, अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा, मध्य प्रदेश में ओरछा, ग्वालियर, उज्जैन, भोपाल, इंदौर और जबलपुर। राजस्थान में जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, जैसलमेर तथा पुष्कर प्रमुख शहर है। वहीं, उत्तर प्रदेश में मथुरा, वृंदावन, आगरा, वाराणसी और कानपुर, दक्षिण भारत में चेन्नई, यादगिरी हिल, ऊटी, बंगलौर, हैदराबाद, तिरूपति, कोचीन, त्रिची, कोयंबतूर, पॉण्डिचेरी सहित दिल्ली एनसीआर में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव, मानेसर, बहादुरगढ़, फ़रीदाबाद तथा पंजाब-हरियाणा में चंडीगढ़, मोहाली, अमृतसर तथा जम्मू के नाम उल्लेखनीय हैं।

खंडेलवाल ने कहा कि ये सभी स्थान मध्यम बजट से लेकर किसी भी बड़े बजट की डेस्टिनेशन शादियों को करवाने में पूर्ण रूप से सक्षम है। शादी करवाने के लिए आम से लेकर ख़ास सुविधा एवं इंतज़ाम प्रदान करने वाली कंपनियों या ग्रुपों का एक बड़ा नेटवर्क पिछले वर्षों में भारत में विकसित हुआ है। इसीलिए शादियों से संबंधित सामान एवं सेवाएं आज देश में एक बड़े व्यापार का रूप ले चुकी हैं। डेस्टिनेशन शादी चाहे देश में हो या विदेश में उन्हें संपन्न कराने में इन कंपनियों या समूहों का बड़ा योगदान होता है। अक्सर प्रति वर्ष शादियों के मामले में देश में विभिन्न स्थानों पर हुई डेस्टिनेशन शादियां अपनी भव्यता अथवा अपनी विशेषताओं के कारण चर्चा का विषय बनती हैं, जो इस बात को साबित करता है कि प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान भारत का धन देश में ही खर्च हो कि भावना के अनुरूप है। डेस्टिनेशन शादियां यदि अपने देश में ही हों, तो न केवल भारतीय संस्कार पल्लवित होंगे, बल्कि देश के व्यापार एवं अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा और बड़ी मात्रा में स्थायी एवं अस्थायी रोज़गार भी उपलब्ध होंगे।

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