जबलपुर में बनेगा राफेल में लगने वाला बम, पांच सौ थाउजेंड पाउंडर बम का मिला आर्डर

जबलपुर: भारतीय वायु सेना के सबसे ताकतवर हथियार थाउजेंड पाउंडर बम का निर्माण अब जबलपुर (Jabalpur) में भी होगा. पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस बम के पांच कवच (खोल) जबलपुर की ग्रे आयरन फाउंड्री (नया नाम यंत्र इंडिया लिमिटेड) में तैयार किए गए हैं, जिनमें बारूद की फीलिंग इसी शहर की दूसरी सैन्य फैक्ट्री में की जाएगी. 420 किलो ग्राम का यह घातक बम वायु सेना के राफेल फाइटर प्लेन में भी लगाया जा सकता है.

जबलपुर स्थित रक्षा क्षेत्र की जीआईएफ ( Grey Iron Foundry) के जनरल मैनेजर सुकान्त सरकार के मुताबिक, अब तक यह घातक बम केवल मुरादनगर में ही बनाया जाता था. पहली बार जबलपुर की ग्रे आयरन फाउंड्री को पांच सौ थाउजेंड पाउंडर बम के कवच (खोल) बनाने के ऑर्डर मिले हैं. पायलट प्रोजेक्ट के तहत पांच बमों का पहला सैंपल तैयार हो गया है, जिसे एक समारोह में शुक्रवार को जबलपुर की ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया में बारूद फिलिंग के लिए रवाना किया गया.

राफेल में भी लगाया जा सकता है बम
जनरल मैनेजर सुकान्त सरकार कहते हैं कि ग्रे आयरन फाउंड्री में इस घातक बम की बॉडी डिजाइन की गई है, जिसमें अब विस्फोटक सामग्री ऑर्डिनेंस फैक्टरी खमरिया में भरी जाएगी. उन्होंने संभावना जताई कि तकरीबन 420 किलोग्राम का यह घातक बम वायु सेना के राफेल फाइटर प्लेन में भी लगाया जा सकता है. ग्रे आयरन फाउंड्री ने यह टास्क कर्मचारियों-अधिकारियों ने हौसले से पूरा किया है. इसके पास न तो पर्याप्त कर्मचारी हैं और न ही तकनीक. इतना ही नहीं, इसके पास ऐसी मशीनरी भी नहीं थी जिससे इतने बड़े बमों की ढलाई की जा सके.

टाइम लिमिट से पहले पूरा किया टास्क
फाउंड्री ने इस टास्क को टाइम लिमिट से पहले पूरा कर दिखाया. टारगेट मिलते ही प्रबंधन ने सबसे पहले दो दर्जन कर्मचारियों को ट्रेनिंग के लिए मुराद नगर निर्माणी भेजा. थाउजेंड पाउंडर बम की ड्रॉइंग और स्पेसिफिकेशन हासिल किए गए. दरअसल, थाउजेंड पाउंडर बम की बॉडी का वजन 280 किलोग्राम रहता है. हाई एक्सप्लोसिव फिलिंग के बाद इसका भार 1000 पाउंड (तकरीबन 454 किग्रा) हो जाता है. जीआईएफ अगर 1000 पाउंडर बम के हिसाब से मशीनरी का कहीं बाहर से इंतजाम करती तो काफी वक्त लगता.

हाई क्वालिटी मेटल जोड़कर मशीन बनाई गई
इसके चलते फाउंड्री में तैयार होने वाले 120 केजी बम की मशीनरी को विकसित कर इसमें ही निर्माण की योजना बनाई गई. हाई क्वालिटी मेटल को जोड़कर मशीन बनाई गई. फिर दोगुने से ज्यादा वजनी और बड़ा तकरीबन 280 केजी बम तैयार किया गया. इस टास्क को पूरा करने के बाद आगे का सफर भी काफी दिलचस्प है. जीआईएफ में इंडस्ट्रियल स्टाफ महज 275 का है. दरबान, सुरक्षा कर्मी और अधिकारी मिलाकर स्टाफ 400 तक ही पहुंच पाता है. इसके बावजूद फाउंड्री ने 500 थाउजेंड पाउंडर बम तैयार करने का टारगेट लिया है.

जीआईएफ के मुख्यद्वार पर शुक्रवार (28 जुलाई) को फ्लैग ऑफ के साथ जीएम सुकान्त सरकार ने पांचों बमों की बॉडी से लोड ट्रक को हरी झंडी दिखाई. इस दौरान यंत्र इंडिया लिमिटेड के मुख्य प्रबंध निदेशक राजीव पुरी, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी-1 अर्जन सिंह, नीरज कुमार सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे. कार्यक्रम के दौरान श्रमिक नेता राकेश दुबे ने सीएमडी से फाउंड्री का नाम आयुध निर्माणी जबलपुर करने की मांग रखी. सीएमडी ने मंच से ही इस पर सहमति प्रदान कर दी.

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