‘राहुल के दफ्तर को AM-PM पता नहीं, ये PMO क्या चलाएंगे…’, जानिए आखिर क्यों राहुल गांधी पर भड़क गए थे प्रणब दा…

नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Former President Pranab Mukherjee) पर उनकी बेटी और पूर्व कांग्रसी नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी (Former Congress leader Sharmistha Mukherjee) ने अपने किताब लिखी है. इस किताब में शर्मिष्ठा ने अपने पिता के हवाले से कई खुलासे किए गए हैं. किताब में दावा किया है कि 2013 में राहुल गांधी द्वारा एक अध्यादेश की प्रति फाड़े जाने की घटना से वह (प्रणब) स्तब्ध रह गए थे. प्रणब मुखर्जी ने कहा था, उन्हें (राहुल के) खुद के गांधी-नेहरू परिवार का होने का घमंड है. किताब में दावा किया गया है कि यह घटनाक्रम 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ.

प्रणब मुखर्जी के हवाले से किताब में कहा गया है, एक बार राहुल प्रणब मुखर्जी से मिलने सुबह सुबह पहुंच गए थे. उस वक्त वे मुगल गार्डन (अब अमृत उद्यान) में सुबह की सैर कर रहे थे. प्रणब को सुबह की सैर और पूजा के दौरान किसी भी तरह का व्यवधान पसंद नहीं था. फिर भी उन्होंने उनसे मिलने का फैसला किया. बाद में पता चला कि राहुल असल में शाम को प्रणब से मिलने वाले थे, लेकिन उनके (राहुल के) कार्यालय ने गलती से उन्हें सूचित कर दिया कि बैठक सुबह है. मैंने जब अपने पिता से पूछा, तो उन्होंने व्यंग्यात्मक टिप्पणी की, अगर राहुल का दफ्तर ‘AM’ और ‘PM’ के बीच अंतर नहीं कर सकता है तो वह भविष्य में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को संचालित करने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?

प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब ‘प्रणब, माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स’ में कहा है कि उनके पिता (मुखर्जी) ने उनसे यह भी कहा था कि राजनीति में आने का निर्णय शायद उनका नहीं था और उनमें करिश्मे और राजनीतिक समझ की कमी एक समस्या पैदा कर रही है.

पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता अजय माकन ने 27 सितंबर 2013 को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी. इसमें राहुल गांधी पहुंचे थे और उन्होंने प्रस्तावित सरकारी अध्यादेश को पूरी तरह से बकवास बताते हुए कहा था कि इसे फाड़ दिया जाना चाहिए. इसके बाद उन्होंने सभी को चौंकाते हुए अध्यादेश की प्रति फाड़ दी थी.

अध्यादेश का उद्देश्य दोषी सांसदों और विधायकों को तत्काल अयोग्य ठहराने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार करना था, और इसके बजाय यह प्रस्तावित किया गया था कि वे ऊपरी अदालतों में अपील लंबित रहने तक संसद या विधानमंडल सदस्य बने रह सकते हैं.

प्रणब मुखर्जी भारत के वित्त मंत्री रहे और बाद में विदेश, रक्षा, वित्त और वाणिज्य मंत्री बने. वह भारत के 13वें राष्ट्रपति (2012 से 2017) थे. प्रणब मुखर्जी का 31 अगस्त, 2020 को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया. शर्मिष्ठा का कहना है कि हालांकि उनके पिता खुद इस अध्यादेश के खिलाफ थे और सैद्धांतिक तौर पर राहुल से सहमत थे.

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब में लिखा, लेकिन राहुल के इस व्यवहार से वह आश्चर्यचकित थे. मैं ही वह पहली थी, जिसने सबसे पहले उन्हें यह खबर दी थी. बहुत दिनों के बाद मैंने अपने पिता को इतना क्रोधित होते देखा! उनका चेहरा लाल हो गया था और उन्होंने कहा था, वह (राहुल) खुद को क्या समझते हैं. वह कैबिनेट के सदस्य नहीं हैं. कैबिनेट के फैसले को सार्वजनिक रूप से खारिज करने वाले वह कौन होते हैं.

किताब के मुताबिक, प्रणब ने शर्मिष्ठा से कहा, ”प्रधानमंत्री विदेश में हैं. क्या उन्हें (राहुल को) अपने व्यवहार के परिणाम और इसका प्रधानमंत्री और सरकार पर पड़ने वाले प्रभाव का एहसास भी है? उन्हें प्रधानमंत्री को इस तरह अपमानित करने का क्या अधिकार है?” मुखर्जी ने इस घटना के बारे में अपनी डायरी में भी लिखा, यह पूरी तरह से अनावश्यक है. उन्हें खुद के गांधी-नेहरू परिवार का होने का घमंड है.

कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने 2021 में राजनीति छोड़ दी थी. उनकी किताब का लोकार्पण 11 दिसंबर को प्रणब मुखर्जी की जयंती के मौके पर होगा. किताब के मुताबिक, प्रणब ने शर्मिष्ठा से कहा था, राहुल का यह व्यवहार कांग्रेस के लिए ताबूत में आखिरी कील है. पार्टी के (तत्कालीन) उपाध्यक्ष (राहुल) ने सार्वजनिक तौर पर अपनी ही सरकार के प्रति ऐसी उपेक्षा दिखाई थी तो लोग आपको (पार्टी को) फिर से वोट क्यों देते.

Leave a Comment