नई दिल्ली: इंडियन रेलवे (Indian Railway) की कमाई को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. आरटीआई (RTI) के एक जवाब में भारतीय रेलवे ने बच्चों का टिकट (children’s ticket) बेचकर 2800 करोड़ रुपये की कमाई कर डाली है. बच्चों के किराए को लेकर 7 साल पहले एक नियम में बदलाव किया गया था. उसके बाद से बच्चों की टिकट से रेलवे की कमाई में 2800 करोड़ रुपये हो गई है. जबकि वित्त वर्ष 2023 में बच्चों का टिकट बेचकर सबसे ज्यादा कमाई हुई है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर आरटीआई में किस तरह का खुलासा हुआ है.
बच्चों का टिकट बेचकर 2800 करोड़ की कमाई
एक आरटीआई के जवाब से पता चला है कि भारतीय रेलवे ने चाइल्ड ट्रैवल फेयर नॉर्म्स (Child Travel Fair Norms) में बदलाव 7 सात साल पहले बदलाव किया था. उसके बाद से रेलवे को चाइल्ड ट्रैवलर्स से 2,800 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई हुई है. आरटीआई अधिनियम के तहत रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (Railway Information System Center) की ओर से मिली जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष (financial year) 2022-23 में नॉर्म्स में बदलाव से अकेले 560 करोड़ रुपये की कमाई हुई.
क्या हुआ नॉर्म्स में बदलाव?
रेल मंत्रालय ने 31 मार्च 2016 को घोषणा की कि वह यदि कोई बच्चा जिसकी उम्र 5 साल से ज्यादा और 12 साल से कम है, रिजर्व कोच में सेपरेट बर्थ या सीट का ऑप्शन चुनता है तो पूरा किराया वसूल किया जाएगा. ये बदलाव 21 अप्रैल, 2016 को लागू हुआ. इससे पहले, 5 से 12 साल के बच्चों को सेपरेट बर्थ के लिए भी आधा किराया वसूल किया जाता था. रिवाइज्ड नॉर्म्स के तहत उपरोक्त आयु वर्ग के बच्चों को अभी भी हाफ टिकट की सुविधा दी गई है. अगर कोई बच्चा अपने अभिभावक के साथ है और उन्हीं की बर्थ पर है तो उसका हाफ टिकट लगेगा.
10 करोड़ बच्चों ने पूरा किराया देकर किया सफर
रेल मंत्रालय के अधीन सीआरआईएस ने बच्चों की दो कैटेगिरी के वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2022-23 तक का डाटा उनके फेयर ऑप्शन के बेस तैयार किया है. सीआरआईएस के आंकड़ों के अनुसार, पिछले सात वर्षों में 3.6 करोड़ से अधिक बच्चों को रिजर्व सीट या कोच का विकल्प चुने बिना आधा किराया देकर ट्रैवल किया है. दूसरी ओर 10 करोड़ से अधिक बच्चों ने अलग बर्थ/सीट का ऑप्शन चुना और पूरा किराया चुकाया.
70 फीसदी बच्चे अलग बर्थ में जाना करते हैं पसंद
आरटीआई आवेदक चंद्र शेखर गौड़ ने कहा कि आरटीआई के जवाब से यह भी पता चलता है कि रेलवे से यात्रा करने वाले कुल बच्चों में से लगभग 70 फीसदी बच्चे पूरा किराया देकर बर्थ या सीट लेना पसंद करते हैं. गौड़ ने कहा कि नॉर्म्स में बदलाव “रेलवे के लिए अप्रत्याशित लाभ” साबित हुआ है. वर्ष 2020-21 में केवल 157 करोड़ रुपये की कमाई हुई, जिससे यह सबसे कम प्रोफिटेबल साल था.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved