कम्पाउंडिंग, टीडीआर सहित निगमों की खस्ता हालत पर आज समीक्षा


प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री के समक्ष देंगे प्रेजेंटेशन, मास्टर प्लान, एफएआर बढ़ाने से लेकर कई लम्बित मुद्दों पर मुख्यमंत्री लेंगे जानकारी
इंदौर।  नगरीय निकायों से जुड़े मुद्दों पर आज मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव समीक्षा करेंगे। नगरीय विकास और आवास मंत्रालय के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने पिछले दिनों उन्हें विभागीय गतिविधियों की जानकारी दी थी और आज प्रेजेंटेशन के जरिए नगरीय निकायों की वित्तीय स्थिति, कम्पाउंडिंग, टीडीआर से लेकर मास्टर प्लान सहित अन्य लम्बित महत्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारी देंगे, जिस पर संभव है मुख्यमंत्री द्वारा विशेष दिशा-निर्देश दिए जाएं।

इंदौर का मास्टर प्लान लम्बित पड़ा है। विधानसभा चुनाव के चलते शिवराज सरकार ने इसके प्रारूप का प्रकाशन भी नहीं करवाया, क्योंकि अंदेशा था कि जमीन घोटालों के आरोप लगेंगे और यह चुनावी मुद्दा भी बनेगा, जबकि आगामी मास्टर प्लान की सभी तैयारी नगर तथा ग्राम निवेश कर चुका है, लेकिन प्रारूप का प्रकाशन नहीं हो सका था। अब संभव है कि 2041 के हिसाब से तैयार किए गए मास्टर प्लान के प्रारूप के प्रकाशन की अनुमति मुख्यमंत्री दे दें। आज दोपहर साढ़े 12 बजे प्रमुख सचिव व अन्य आला अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री को नगरीय निकायों से जुड़े मुद्दों की जानकारी दी जाएगी। यह भी उल्लेखनीय है कि इंदौर सहित प्रदेश के सभी निगमों की आर्थिक हालत भी अत्यंत खस्ता है। इंदौर नगर निगम तो समय पर वेतन भी नहीं बांट पा रहा है। वहीं शासन से भी चुंगी क्षतिपूर्ति सहित अन्य मदों में मिलने वाली राशि प्राप्त नहीं हो रही है, क्योंकि शासन का भी खजाना लाड़ली बहना सहित अन्य योजनाओं के चलते खाली हो गया है। 30 फीसदी तक कम्पाउंडिंग, टीडीआर, टीओडी सहित नगरीय निकायों, नगर तथा ग्राम निवेश से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होना है, जिस पर देखना यह है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव क्या निर्देश देते हैं। इंदौर के साथ-साथ भोपाल का मास्टर प्लान भी अटका है, जिसका प्रारूप प्रकाशन होने के साथ दावे-आपत्ति भी आ चुकी है, लेकिन सुनवाई की प्रक्रिया आचार संहिता के चलते नहीं हो पाई थी। इसी तरह उज्जैन का जो मास्टर प्लान घोषित किया गया, उसमें भू-उपयोग को लेकर कुछ विसंगतियां थीं। उस पर भी नगरीय प्रशासन ने आदेश जारी किए थे। इंदौर में टीडीआर का लाभ भी जमीन मालिकों को नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि शासन ने पॉलिसी तो लागू कर दी, मगर रीसिविंग झोन तय नहीं किए और साथ ही उसके आधार पर मास्टर प्लान, भूमि विकास नियम और नगर तथा ग्राम निवेश में आवश्यक संशोधन भी किए जाना है। वह भी नहीं हो पाए।

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